बिहार चुनावी सरगर्मी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान पर सियासत गरमा गई है। पीएम मोदी ने अपनी सभा में कहा था कि “किसी की मां को गाली नहीं दी जानी चाहिए।” इस बयान पर अब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने पलटवार करते हुए इसे चुनावी मुद्दों से भटकाने की रणनीति बताया।
तेजस्वी यादव ने वोटर अधिकार यात्रा के दौरान मीडिया से बातचीत में कहा कि वे व्यक्तिगत टिप्पणी या परिवार पर की गई बातों को सही नहीं मानते। लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री इस तरह की बातों को उछालकर बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की समस्याओं से ध्यान भटकाना चाहते हैं। तेजस्वी ने कहा, “हम हमेशा मुद्दों की राजनीति करते हैं। जनता रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य की बात करना चाहती है, लेकिन सरकार इनसे भाग रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि बिहार की जनता अब जात-पात या भावनात्मक मुद्दों से नहीं बल्कि अपने वास्तविक हक और विकास की मांग को लेकर वोट करेगी। तेजस्वी ने प्रधानमंत्री से सीधा सवाल किया कि आखिर बिहार के युवाओं को नौकरी कब मिलेगी और राज्य को विशेष पैकेज क्यों नहीं दिया जा रहा है।
तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी के साथ साझा मंच से भी यही बात दोहराई और कहा कि विपक्ष का एजेंडा साफ है—जनता को उनका हक दिलाना। उन्होंने दावा किया कि इस बार बिहार की जनता NDA को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाएगी।
इस पूरे विवाद के बीच राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि व्यक्तिगत हमले और परिवार को लेकर की गई टिप्पणियां चुनावी माहौल को और गरमा सकती हैं। हालांकि, दोनों पक्ष अपने-अपने समर्थन आधार को साधने की कोशिश में हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे बयान चुनावी रैलियों में भीड़ जुटाने और भावनाएं भड़काने का काम तो करते हैं, लेकिन अंततः जनता अपने मुद्दों पर ही वोट करती है। अब देखना होगा कि पीएम मोदी और तेजस्वी यादव के बीच यह जुबानी जंग चुनावी परिणामों पर कितना असर डालती है।