राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत के भूले गौरव को फिर से स्थापित किया जाना चाहिए. हैदराबाद में ‘राष्ट्रवादी विचारकों’ के सम्मेलन लोकमंथन-2024 में संघ प्रमुख देश के दार्शनिक ज्ञान से समर्थित विज्ञान के महत्व के बारे में बात करते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग में नैतिकता पर जोर देने वाले वैज्ञानिकों का उदाहरण दिया.
संघ प्रमुख ने कहा कि भारत की मूल्य प्रणाली व्यक्ति की बुद्धिमत्ता पर जोर देती है. मुद्दों के प्रति भारत के दृष्टिकोण में तर्क और बुद्धिमत्ता शामिल है. उन्होंने कहा कि देश को समस्याओं के प्रति अन्य दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है. भारत विदेशों से अच्छी चीजें ले सकता है, लेकिन उसकी अपनी आत्मा और संरचना होनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि हमें अपने सनातन धर्म और संस्कृति को समसामयिक स्वरूप देने पर विचार करना होगा. हमें जो करना है वह यह है कि हमें भारत के भूले हुए गौरव को फिर से स्थापित करना है.
संघ प्रमुख ने कहा- हमारा देश एक सनातन राष्ट्र है
उन्होंने कहा कि लोक ,सृष्टि और धर्म इन तीनों की उत्पत्ति का समय समान है. यह साथ चलते हैं और प्रलय तक रहेंगे इसलिए सनातन है. क्योंकि यह तीनों साथ हैं इसलिए अस्तित्व है. सभी चीजें इन तीनों के सहारे चलती है. यह बात हमारे पूर्वजों ने पहचानी. यह कोई बपौती हमारी नहीं है, यह एक सत्य है क्योंकि हमारे पूर्वजों ने यह सत्य खोजा है. हमारा यह जीवन सनातन है. हमारा देश एक सनातन राष्ट्र है. हमारे कपड़े बदले होंगे, खाना बदला होगा, लेकिन अंदर से हम सभी एक हैं.
‘खोजो तो विविधता में एकता है’
सरसंघचालक ने कहा कि विविधता में भी एकता है. अगर खोजो तो, एकता है तो सभी अपना है. सब सुखी होंगे तभी हम भी खुश होंगे. वास्तव में अगर सुख संतोष पाना है तो सर्वे भवन्तु सुखिनः की भावना के बिना रास्ता नहीं है. हमारे देश में सभी संसाधनों पर समाज का स्वामित्व था, लेकिन देश में विदेशी शासक आए खासकर अंग्रेजों ने हमारे संसाधनों पर कब्जा किया, जिसके चलते धीरे-धीरे हम इस स्थिति में पहुंचे. हमें बताना पड़ता है की यह हमारा है. यह दुर्भाग्य और शर्म की बात है.
संघ प्रमुख बोले- धर्म साथ चलता है
मोहन भागवत ने कहा कि देश की ऐसी स्थिति केवल इसलिए नहीं हुआ क्योंकि यहां विदेशी आक्रांता आए थे. विदेशी आक्रांताओं की तो यह औकात नहीं थी कि वह हमें जीत पाते और आज भी नहीं है. हम अधर्म पति हुए इसलिए यह स्थिति आई थी. हम कौन हैं, हमारा स्वाभिमान हम भूल गए. हम क्यों भूले क्योंकि हम अपना जीवन ध्येय भूल गए. धर्म क्या है, इतनी सारी विविधता के बावजूद साथ मिलकर चलें यही धर्म है. धर्म अगर साथ चलता है तो सृष्टि चलती है.