छत्तीसगढ़ राज्य बिजली वितरण कंपनी (सीएसपीडीसीएल) ने तेलंगाना सरकार से 18,500 करोड़ रुपये के बकाया बिजली बिल की वसूली के लिए राज्य विद्युत नियामक आयोग का दरवाजा खटखटाया है। इस संबंध में पहले बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे बाद में वापस लेकर नियामक आयोग में प्रस्तुत किया गया है। बिजली कंपनी की ओर से हाई कोर्ट के दो वरिष्ठ अधिवक्ता आयोग में पैरवी करेंगे।
गौरतलब है कि डा. रमन सिंह के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के बीच बिजली आपूर्ति को लेकर समझौता हुआ था। इसके तहत मड़वा ताप विद्युत संयंत्र से तेलंगाना को एक हजार मेगावाट तक बिजली की आपूर्ति की गई थी। लेकिन तेलंगाना सरकार ने समय पर भुगतान नहीं किया, जिससे बकाया बढ़कर लगभग 36,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इस बीच दबाव के बाद तेलंगाना सरकार ने किस्तों में 17,500 करोड़ रुपये का भुगतान तो किया, लेकिन पिछले कुछ सालों से शेष 18,500 करोड़ रुपये की अदायगी रोक दी गई है।
तेलंगाना में सरकार बदलने से बदला समीकरण
इस विवाद के बीच तेलंगाना में कांग्रेस सरकार बनने के बाद नए मोड़ भी आए हैं। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार ने छत्तीसगढ़ से बिना टेंडर के ऊंची दर पर बिजली खरीदने और इससे 13,00 करोड़ रुपये के नुकसान का आरोप लगाया है। इस मामले में भ्रष्टाचार की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया गया है, जिसकी जांच प्रक्रिया जारी है। इस पृष्ठभूमि में यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ की ओर से दायर याचिका का निपटारा निकट भविष्य में संभव नहीं है। यदि राज्य आयोग का निर्णय तेलंगाना के खिलाफ जाता है तो वहां की सरकार केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग में अपील कर सकती है।