राजधानी रायपुर के चंगोराभाटा क्षेत्र में स्थित सीरवेश्वरनाथ महादेव मंदिर की जमीन बेचने का मामला दो साल बाद भी अधर में लटका हुआ है। वर्ष 2022 में 4.40 एकड़ भूमि पर अवैध प्लाटिंग और बिक्री की शिकायत सामने आई थी। आरोप है कि यह जमीन करीब 20 करोड़ रुपये में बेच दी गई, जबकि यह भूमि मंदिर और तालाब से जुड़ी सार्वजनिक संपत्ति थी।
जानकारी के अनुसार, यह जमीन पटवारी हल्का क्रमांक 105, खसरा नंबर 84 में दर्ज है। यह रिंग रोड स्थित श्याम पेट्रोल पंप के पीछे और अभिनंदन पैलेस के पास स्थित है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस जमीन पर निजी स्वामित्व दर्शाकर बिना अनुमति अवैध प्लाटिंग की गई और प्लॉट बेच दिए गए। इसको लेकर 7 जून 2022 को क्षेत्रवासियों ने तत्कालीन कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को शिकायत सौंपी थी।
शिकायत में जमीन पर अवैध प्लाटिंग रोकने, रजिस्ट्री पर रोक लगाने, रास्ता मुक्त कराने और दोषियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई थी। इसके बाद 16 जून 2022 को नगर निगम की टीम ने मौके पर पहुंचकर अवैध प्लाटिंग पर बुलडोजर चलाया था। बावजूद इसके, जांच की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी और मामला अब भी विवादों में है।
मंदिर प्रबंधन और संजय अग्रवाल का कहना है कि सभी कार्यवाही कानूनी रूप से हुई है। उनका दावा है कि कोर्ट ने उनके पक्ष में निर्णय दिया है और मंदिर की जमीन के बदले दूसरी जमीन दी गई है ताकि धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे। उन्होंने कहा कि सभी दस्तावेज वैध हैं और मंदिर समिति व अधिकारियों की सहमति से यह कदम उठाया गया था।
स्थानीय लोग अब भी कार्रवाई न होने से नाराज हैं। उनका कहना है कि अवैध बिक्री के जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन जांच अधूरी छोड़ दी गई। वहीं, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि कलेक्टर को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं और मामले में आगे जानकारी ली जाएगी।
यह विवाद न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि धार्मिक संपत्तियों की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।