मुंबई के घाटकोपर में खान-पान को लेकर मराठी-गुजराती समुदायों में तनाव…

सपनों का शहर मुंबई में विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग रहते हैं, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. कोई क्या खाता-पीता है, यह वास्तव में एक निजी मामला है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से मुंबई में खान-पान के मुद्दे पर बहस चल रही है. मराठी लोग, जो महाराष्ट्र और मुंबई के सच्चे बेटे हैं, आरोप है कि उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया जा रहा है. कुछ महीने पहले कल्याण में एक बड़ा विवाद हो गया था, जब प्रवासी परिवारों ने बाहर से गुंडों को बुलाकर एक मराठी परिवार की पिटाई कर दी थी. मुंबई में मराठी लोगों के साथ दुर्व्यवहार की कई घटनाएं हुई हैं और घाटकोपर में भी यही पैटर्न दोहराया गया है.

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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने आरोप लगाया है कि घाटकोपर में एक मराठी परिवार के साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया. मनसे का आरोप है कि एक गुजराती परिवार ने एक मराठी परिवार का अपमान किया, क्योंकि वे मांसाहारी भोजन खाते हैं. मनसे के एक पदाधिकारी ने इस संबंध में पोस्ट किया. अब ऐसा लगता है कि मुंबई में मराठी बनाम अमराठी बहस फिर से अपने चरम पर पहुंच गई है. इससे नया बवाल मचने की संभावना है.

मराठी बनाम अमराठी का गरमाया मुद्दा

जानकारी के अनुसार, यह घटना घाटकोपर स्थित एक सोसायटी में घटी. यहां मराठी बनाम अमराठी विवाद काफी गरमा गया है. यह बात सामने आई है कि वहां गुजराती, मारवाड़ी और जैन बाहुल्य समाज में रहने वाले लोगों ने मांसाहारी भोजन करने वाले एक मराठी परिवार के साथ अपमानजनक व्यवहार किया. शाह नाम के एक व्यक्ति ने इस मराठी परिवार को खूब खरी-खोटी सुनाई.

पीड़ित परिवार से मिले मनसे के कार्यकर्ता

हालांकि, इस घटना की जानकारी मिलते ही महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ता वहां पहुंचे और उन्होंने समाज के लोगों को काफी समझाया. मनसे की कामगार सेना के उपाध्यक्ष राज परते ने सोसायटी में प्रवेश किया और संबंधित गुजराती और जैन निवासियों को डांटा और उनसे घटना के बारे में स्पष्टीकरण मांगा.

हालांकि, मराठी परिवार को परेशान करने वाला शाह नाम का व्यक्ति अभी सामने में नहीं आया. हालांकि, सोसायटी के अन्य निवासियों ने बहुत सहयोग दिया. वे यह कहते नजर आए कि हम मराठी और अमराठी में कोई भेदभाव नहीं करते. हम मांसाहारी भोजन खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाते.

भैयाजी जोशी के बयान से खड़ा हुआ था विवाद

कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता भैयाजी जोशी ने यह कहकर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था कि, “मुंबई आने वालों को मराठी सीखने की कोई जरूरत नहीं है. यहां अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं. मुंबई के घाटकोपर इलाके की भाषा गुजराती है. मुंबई की कोई एक भाषा नहीं है. यहां कई भाषाएं बोली जाती हैं.” इस बात के संकेत हैं कि यह विवाद और भी भड़केगा, क्योंकि इसी घाटकोपर में एक मराठी परिवार के साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया है.

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