पहलगाम हमले के बाद आतंकी टूलकिट का खुलासा, पहचान से बचने के लिए बदला जा रहा हुलिया

पहलगाम हमले के बाद जांच एजेंसी इस अटैक की इन्वेस्टिगेशन कर रही है. इसी बीच आतंकी टूलकिट पर बड़ा खुलासा हुआ है. सामने आया है कि आतंकवादियों को किस तरह की हिदायत दी जाती है. हथियार एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने, सफर कैसे करना है, हुलिया कैसा रखना है, साथ क्या सामान रखना है इन सभी चीजों को लेकर नियम है और सख्त हिदायत दी जाती है, जिसको सभी के लिए मानना जरूरी होता है.

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को भयानक हमला हुआ. इस हमले में आतंकवादियों ने 26 टूरिस्ट की जान ले ली. इस हमले के बाद से ही भारत ने पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ सख्त एक्शन लिया है. जांच एजेंसियां इस हमले की जांच कर रही है.

क्या है डेड ड्रॉप पॉलिसी?

आतंकी संगठन लश्कर ए तयैबा का विंग तहरीके पाशबान ने बताया की किसी भी साजिश को अंजाम देने के लिए डेड ड्राप पॉलिसी कितनी अहम होती है.

डेड ड्राप पॉलिसी उसे कहते हैं जिसमें 2 आतंकी एक दूसरे को बिना जाने इनफार्मेशन और हथियार शेयर करते हैं. इसमें साफ तौर पर लिखा है की डेड ड्राप पॉलिसी की कुछ शर्तें भी होती है. यानी की इनफार्मेशन या हथियार शेयर करते वक्त ये ध्यान रखा जाए की इनफार्मेशन या हथियार शेयर करते वक्त सुनसान इलाके को चुने जहां ज्यादा चहलकदमी न हो, और वो जगह सरकारी इमारतों से दूर होनी चाहिए, पार्क हो सकता है या कब्रिस्तान.

इनफार्मेशन या हथियार ड्राप करने से पहले अपनी पूरी तैयारी कर ले. वक्त का पाबंद होना बेहद जरूरी है. यानी समान ड्रॉप करने का जो वक्त तय हुआ है उसमें देरी नहीम होनी चाहिए. दोनों के हाथ में घड़ी, कम्फर्टेबल जूते पहनना जरूरी है.

ड्रॉप करने की हिदायत

  • ड्रॉप करने से पहले वहां कोई निशान बनाए जो उठाने वाले को पता हो.
  • लिबास वेस्टर्न या मॉडर्न होना चाहिए ताकि किसी को शक न हो.
  • अपने साथ किसी दूसरे साथी या दोस्त को न लेकर जाए.
  • समान या हथियार ड्रॉप करने के लिए जो जगह चुने वो आपकी रिहायश से दूर होनी चाहिए.
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