पुलिसकर्मियों का काम माफी लायक नहीं’, सिक्योरिटी गार्ड की कस्टोडियल डेथ पर भड़के CM स्टालिन, CBI को सौंपेंगे केस
तमिलनाडु में 27 साल के मंदिर के गार्ड अजीत कुमार की हिरासत में मौत का मामले से बवाल मच गया है. इस मामले को लेकर राजनीतिक भड़क गई और न्याय की मांग की जा रही है. मंगलवार को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने घोषणा की है कि अजीत की हिरासत में मौत के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपी जाएगी.
अजीत की मौत कथित तौर पर थिरुप्पुवनम पुलिस थाने में पुलिस प्रताड़ना के बाद हुई थी. अजीत को पुलिस ने मंदिर से आभूषण चोरी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पुलिस द्वारा किए गए कृत्य को ‘अक्षम्य और अन्यायपूर्ण’ करार दिया है. यह ऐसी घटना है जिसे कोई भी सही नहीं ठहरा सकता है. ऐसे कृत्य कहीं भी और कभी नहीं होनी चाहिए’.
उन्होंने कहा कि इस मामले में पांच पुलिसकर्मियों को दोषी बनाया गया है. मामले की जांच में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए केस सीबीआई को सौंपने का फैसला लिया गया है.
मुख्यमंत्री स्टालिन ने पीड़ित के परिजनों से फोन पर बातचीत कर संवेदना व्यक्त की है.
मद्रास हाईकोर्ट ने मामले पर क्या कहा?
मद्रास हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने की. जस्टिस सुब्रमण्यम ने कहा, ‘पुलिस ताक़त के नशे में चूर हो चुकी है’. पुलिसवालों ने क्रूरतापूर्वक सिक्योरिटी गार्ड पर हमला किया. पुलिसवालों ने मिलकर यह कृत्य किया है जो कि क्रूर हत्या है’.
हाईकोर्ट ने इस हत्या को सामान्य नहीं बताते हुए इसे अमानवीय बताया है. जस्टिस सुब्रमण्यम ने एफआईआर दर्ज करने में देरी और सीनियर अधिकारियों की अनुपस्थिति पर भी सवाल खड़े किए हैं. हाईकोर्ट ने इसे राज्य द्वारा नागरिक की हत्या बताया है.
जस्टिस सुब्रमण्यम ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर आश्चर्य व्यक्त किया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि अजीत के शरीर पर 44 निशान हैं. साथ ही अजीत के पीठ, मुंह और कान पर लाल मिर्च पाउडर लगाए गए.