फिर चला प्रशासन का बुलडोजर! एक साथ 23 मकानों को किया ध्वस्त, 10 एकड़ सरकारी जमीन पर था अतिक्रमण

बिलासपुर के बिरकोना इलाके में मंगलवार को प्रशासन ने करीब 10 एकड़ सरकारी जमीन से अवैध कब्जा हटाया। इस जमीन पर 23 लोगों ने लंबे समय से कब्जा कर पक्के मकान बना लिए थे।

शिकायत मिलने के बाद कलेक्टर बिलासपुर ने एसडीएम को जांच व आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद तहसीलदार गरिमा ठाकुर, जोन कमिश्नर, राजस्व अमला और पुलिस बल की टीम ने संयुक्त रूप से मौके पर पहुंचकर बुलडोज से अवैध निर्माण को ध्वस्त किया।

प्रशासन ने इससे पहले अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, साथ ही 9 अप्रैल को बेदखली आदेश जारी करते हुए उन्हें स्वयं कब्जा हटाने का अंतिम मौका दिया गया था। तय समयसीमा में कब्जा नहीं हटाने पर प्रशासन ने मंगलवार को कार्रवाई की।

आगे भी होगी कार्रवाई

तहसीलदार गरिमा ठाकुर ने बताया कि सरकारी जमीन पर किसी भी प्रकार के अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे मामलों में बिना किसी दबाव के कार्रवाई की जाएगी। सरकारी जमीन को खाली कराना प्रशासन की प्राथमिकता है।

इन्होंने किया था अतिक्रमण

प्रशासन द्वारा जिन 23 लोगों के अवैध कब्जे हटाए गए हैं, उनमें विकास पिता रामभजन, श्याम बाई पति जनक गोड, पूनम पांडेय पति आशुतोष, प्रमीला यादव पति विनोद, पोस्टमेन पिता रामचरण साहू, महगुराम, नरेंद्र, अरुण बघेल, रामायण गोड, अशोक गोड, कुमारी गोड, ईश्वरी गोड, दुर्गेश साहू, गोपी गोस्वामी, हजारीलाल सूर्यवंशी, राजकुमार शुक्ला, फागूराम, बरातू मानू, जनऊ, बनऊ, धनऊ, अर्जुन, दिलीप एवं सुंदर पिता समेलाल शामिल हैं।

कोटा में सरकारी भूमि का डायवर्सन आदेश रद्द

कोटा अनुविभाग में सरकारी भूमि के डायवर्सन को लेकर कार्रवाई की। कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश पर एसडीएम कोटा ने ग्राम घांसीपुर स्थित 60 डिसमिल सरकारी भूमि के डायवर्सन आदेश को रद्द कर दिया है। यह भूमि तहसील रतनपुर के ग्राम घांसीपुर स्थित भूमि खातेदार किशनलाल के नाम दर्ज थी, जिन्होंने भूतपूर्व सैनिक होने का दावा किया था। जांच में पाया गया कि ख.नं 61/10 रकबा 2.023 में से 0.60 एकड़ भूमि निस्तार पत्रक में ‘बड़े झाड़ का जंगल’ के रूप में दर्ज है और अभी तक निस्तार भूमि से पृथक नहीं की गई है।

वहीं दर्ज रकबा मिसल के रकबे से मिलान करने पर अधिक पाये जाने पर अतिरिक्त कलेक्टर बिलासपुर से पुनर्विलोकन की अनुमति मांगी थी। पुनर्विलोकन की अनुमति पश्चात् पक्षकार को नोटिस जारी कर जवाब चाहा गया। डायवर्सन आदेश त्रुटिपूर्ण पाए जाने पर उसे रद्द किया गया और भूमि पर चल रहे निर्माण कार्यों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई। कलेक्टर ने मामले की गंभीरता से समीक्षा की और इसे टीएल पंजी में दर्ज किया।

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