भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को एक थिंक-टैंक कार्यक्रम में कहा कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा आज बाहरी और भीतरी दोनों मोर्चों पर बड़े दबाव में है. उन्होंने चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के संभावित गठजोड़ को भारत की स्थिरता और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया.
उन्होंने कहा कि आज की वैश्विक स्थिति बेहद अस्थिर है, पूरी दुनिया पुराने व्यवस्था से नए वैश्विक संतुलन की ओर बढ़ रही है. इस परिवर्तन के बीच अमेरिका की भूमिका भी कई स्तरों पर जटिलता पैदा कर रही है.
CDS ने ज़ोर देकर कहा कि एक मजबूत और लचीली अर्थव्यवस्था किसी भी देश की राष्ट्रीय शक्ति की बुनियाद होती है. उन्होंने कहा, “आर्थिक और व्यापारिक सुरक्षा भी राष्ट्रीय सुरक्षा का अहम हिस्सा है. स्थिर विकास और टिकाऊ प्रगति के लिए मजबूत अर्थव्यवस्था जरूरी है.”
उन्होंने कहा कि बाहरी प्रभावों से सुरक्षा तभी संभव है जब देश की आंतरिक स्थिति मजबूत हो और उसका आर्थिक आधार स्थिर बना रहे.
सामाजिक और आंतरिक सुरक्षा की अहमियत
जनरल चौहान ने कहा कि भारत जैसे विविधता भरे देश में सामाजिक और आंतरिक सुरक्षा को हल्के में नहीं लिया जा सकता. उन्होंने कहा, “हमारा देश बहुभाषी, बहुधार्मिक और बहुजातीय है, ऐसे में सामाजिक एकता को बनाए रखना बेहद जरूरी है. सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था में आंतरिक सुरक्षा को भी अहम स्थान मिलना चाहिए.”
उन्होंने आगाह किया कि अगर भारत को आंतरिक रूप से कमजोर किया गया, तो बाहरी खतरे और ज्यादा असरदार हो जाएंगे.
चीन-पाकिस्तान-बांग्लादेश गठजोड़ पर सतर्कता की जरूरत
जनरल चौहान ने कहा कि चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच अगर किसी भी तरह का रणनीतिक सहयोग होता है, तो उसका सीधा असर भारत की सुरक्षा पर पड़ेगा. उन्होंने कहा, “इन तीनों देशों के साझा हित भारत के खिलाफ एक रणनीतिक चुनौती बन सकते हैं, खासकर तब जब बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति अस्थिर है और वहां की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत में शरण ले चुकी हैं.”
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने बदले युद्ध के मायने
CDS ने मई 2025 में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह पहला उदाहरण था जब दो परमाणु संपन्न देश भारत और पाकिस्तान सीधे सैन्य संघर्ष में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि इस संघर्ष में भारत ने पाकिस्तान की परमाणु धमकियों को झूठा साबित कर दिया और यह दुनिया के लिए एक सीख है कि परमाणु डर दिखाकर कोई देश अपनी हरकतें नहीं छिपा सकता.
आने वाली चुनौतियां और तैयारी
CDS ने आगे कहा कि अब युद्ध के तरीके बदल चुके हैं. युद्ध अब केवल सीमा पर नहीं, बल्कि साइबर हमले, इलेक्ट्रॉनिक हथियार, ड्रोन, मिसाइल और हाइपरसोनिक हथियारों के ज़रिए भी लड़े जा रहे हैं. उन्होंने कहा, “इन सभी मोर्चों पर अभी तक दुनिया के पास कोई पूर्ण रक्षा प्रणाली नहीं है, इसलिए भारत को अपनी तैयारी हर स्तर पर बढ़ानी होगी.”