मध्य प्रदेश के उज्जैन में उपभोक्ता फोरम ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसमें खाते में पर्याप्त राशि होने के बावजूद भी बैंक ने सिर्फ चेक बाउंस कर दिया बल्कि चेक बाउंस की राशि भी काट ली. खाताधारक ने जब इस बात की शिकायत बैंक प्रबंधक से की तो उन्होंने अपनी गलती मानने से ही इनकार कर दिया. इस मामले में 2 साल उपभोक्ता फोरम में एक शिकायत दर्ज कराई गई थी. जिस पर फैसला सुनाते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने बैंक के खिलाफ एक बड़ी ही दिलचस्प फैसला सुनाया है.
पूरे मामले की जानकारी देते हुए वकील वीरेंद्र सिंह परिहार ने बताया कि उज्जैन जिले के इंदिरा नगर में रहने वाले जगत बहादुर सिंह परिहार का हीरा मिल चौराहा पर स्थित बैंक ऑफ इंडिया में खाता है. जगत बहादुर सिंह ने 27 मई 2022 को चेक से 6000 रुपए का भुगतान के लिए दिया था, लेकिन 30 मई 2022 को खाते में पर्याप्त बैलेंस होने के बावजूद बैंक ने चेक बाउंस कर दिया. सिंह ने जब इस संबंध में बैंक प्रबंधक से गड़बड़ी के बारे में बताया तो उन्होंने अपनी गलती मानने से इंकार कर दिया
बाद में बैंक प्रबंधक को इसके लिए नोटिस दिया गया, लेकिन फिर भी जब उन्होंने अपनी गलती नहीं मानी तो साल 2022 में इस पूरे मामले को लेकर डिस्टिक कंज्यूमर कोर्ट में केस दाखिल किया गया. जिसमें जिला उपभोक्ता आयोग उज्जैन द्वारा दिए गए फैसले में चेक बाउंस के लिए बैंक को दोषी माना गया है. साथ ही आदेश दिए गए हैं कि बैंक 45 दिनों के अंदर चेक बाउंस के लिए काटी गई 327 रुपए की राशि और इस दिनांक से भुगतान दिनांक तक 9% वार्षिक दर से ब्याज एक ही बार में प्रदान करें.
अकाउंट में थे हजारों रुपये
इसके साथ ही खाताधारक को मानसिक रूप से परेशान करने के लिए भी 10000 रुपये और जिला उपभोक्ता फोरम में केस लगाने के खर्च के रूप में 2000 रुपये की राशि अदा करने के निर्देश दिए गए हैं. बैंक ऑफ इंडिया ने जगत बहादुर सिंह के 6000 रुपए का चेक 30 मई 2022 को बाउंस किया था, जब इस बारे में स्टेटमेंट निकाला गया तो पता चला कि सिर्फ 6000 की राशि के लिए चेक बाउंस कर दिया गया, लेकिन उस समय खाते में लगभग 61,853 रुपए की राशि थी.