मध्य प्रदेश के रीवा में करोड़ों रुपये की लागत से बने सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है. हाल ही में, अस्पताल की फॉल सीलिंग दो बार गिर चुकी है, जिससे मरीज और उनके परिवार के सदस्य बाल-बाल बचे. इस घटना को पहले मामूली तकनीकी खराबी बताकर टाल दिया गया था.
अब, अस्पताल के बेस का एक मजबूत पिलर दरार खाकर अपनी जगह से खिसक गया है. स्थानीय जन ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही इसकी मरम्मत और संरचनात्मक जांच नहीं की गई, तो पूरा ढांचा गंभीर खतरे में आ सकता है। यह वही अस्पताल है, जहां रीवा और आसपास के जिलों से गंभीर बीमारियों, खासकर हृदय रोग के मरीज इलाज के लिए आते हैं.
अधिवक्ता बीके माला ने इस निर्माण में बड़ी खामियों पर सवाल उठाए हैं, खासकर तब जब इसे ‘आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं का केंद्र’ बताया गया था। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता विनोद शर्मा ने इस स्थिति को इंजीनियरों और ठेकेदारों की लापरवाही का नतीजा बताया है. उन्होंने मरीजों की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है, जो अब एक बड़ी चुनौती बन गई है.
अस्पताल के अधीक्षक अक्षय श्रीवास्तव ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अस्पताल का रखरखाव पीडब्ल्यूडी विभाग के तहत आता है और वे इस मामले की जांच करेंगे. यह घटना दर्शाती है कि फॉल सीलिंग का गिरना सिर्फ एक ‘छोटी तकनीकी गड़बड़ी’ नहीं थी, बल्कि यह लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार का परिणाम है. अगर इस अस्पताल के गुणवत्ता की गहराई से जांच की गई तो हो सकता है करोड़ों के भ्रष्टाचार का खेल.