एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के दुखद हादसे के बाद यह जानकारी सामने आई थी कि विमान के ब्लैक बॉक्स अमेरिका भेजे जा रहे हैं. लेकिन अब नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) ने इसका खंडन करते हुए इसे गलत और भ्रामक बताया है. मंत्रालय ने सभी से अपील की है कि ऐसी संवेदनशील जांच प्रक्रिया पर अटकलें न लगाएं और जांच को गंभीरता और पेशेवर तरीके से पूरा होने दें.
दरअसल, इस साल अप्रैल में नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने नई दिल्ली के उड़ान भवन स्थित एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) के परिसर में डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) विश्लेषण लैब का उद्घाटन किया था. यह लैब करीब ₹9 करोड़ की लागत से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सहयोग से बनाई गई है.
इस लैब का उद्देश्य है दुर्घटनाग्रस्त ब्लैक बॉक्स की मरम्मत, डेटा निकालना और विभिन्न स्रोतों जैसे रडार, फ्लाइट परफॉर्मेंस और कॉकपिट रिकॉर्डिंग को जोड़कर दुर्घटना के कारणों की सटीक जांच करना है. इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ICAO की सदस्यता के तहत विकसित किया गया था. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक इसी लैब में जांच हो रही
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “एयर इंडिया की दुर्घटनाग्रस्त फ्लाइट AI171 से जुड़ी कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि उसके ब्लैक बॉक्स (CVR और DFDR) को जांच के लिए विदेश भेजा जा रहा है. इस पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सफाई दी है कि ब्लैक बॉक्स की जांच कहां और कैसे होगी, इसका फैसला विमान हादसों की जांच करने वाली एजेंसी AAIB तकनीकी, सुरक्षा और अन्य सभी जरूरी पहलुओं को ध्यान में रखकर करेगी. मंत्रालय ने सभी से अपील की है कि ऐसी संवेदनशील जांच प्रक्रिया पर अटकलें न लगाएं और जांच को गंभीरता और पेशेवर तरीके से पूरा होने दें.”
हादसे की जांच में कौन-कौन शामिल?
बता दें कि AI-171 हादसे की जांच 12 जून 2025 को शुरू हुई, जिसमें AAIB की टीम के साथ-साथ अमेरिका के नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) और विमान निर्माण कंपनियों के विशेषज्ञ (OEM) भी शामिल हैं. यह पूरी प्रक्रिया ICAO द्वारा निर्धारित अंतरराष्ट्रीय जांच प्रोटोकॉल के तहत की जा रही है. AI-171 विमान, जो Boeing 787-8 ड्रीमलाइनर था, में दो सेट ब्लैक बॉक्स सिस्टम लगे थे, प्रत्येक में DFDR और CVR शामिल थे. पहला सेट 13 जून को मिला और दूसरा 16 जून को मलबे से निकाला गया.
इन ब्लैक बॉक्सों से यह पता लगाया जाएगा कि टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद विमान क्यों दुर्घटनाग्रस्त हुआ. DFDR से उड़ान की गति, ऊंचाई और इंजन थ्रस्ट जैसे डेटा मिलेंगे, जबकि CVR से कॉकपिट में पायलटों की बातचीत और अलर्ट रिकॉर्डिंग को सुना जाएगा.
ICAO के नियमानुसार, इस हादसे पर 30 दिनों के भीतर एक प्रारंभिक रिपोर्ट और एक साल के भीतर अंतिम विस्तृत रिपोर्ट जारी की जाएगी. जांच में पायलट की संभावित गलती, तकनीकी खराबी, मौसम संबंधी स्थितियां और प्री-फ्लाइट जांच की चूक जैसे बिंदुओं को ध्यान में रखा जाएगा.