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लॉरेंस बिश्नोई-BKI टेरर नेटवर्क का ब्लूप्रिंट उजागर, NIA की नई चार्जशीट में चौंकाने वाले खुलासे

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई गैंग और बब्बर खालसा इंटरनेशनल के बीच आतंकी गठजोड़ मामले में 22वें आरोपी राहुल सरकार के खिलाफ 5वां आरोपपत्र दाखिल किया है. जांच एजेंसी ने बताया कि राहुल सरकार ने इस गिरोह के सदस्यों के लिए फर्जी पहचान पत्र और पासपोर्ट तैयार करवाए थे. इतना ही नहीं सह-आरोपी सचिन बिश्नोई समेत कई गैंगस्टरों को विदेश भागने में मदद भी की थी.

राहुल सरकार गिरोह के लिए एक ‘सिस्टम ऑपरेटर’ की तरह काम कर रहा था. वो पर्दे के पीछे से फर्जी आधार कार्ड, वोटर आईडी और बैंक पासबुक जैसे दस्तावेज तैयार करवाने का इंतजाम करता था. इन दस्तावेजों का इस्तेमाल कर गिरोह के सदस्य फर्जी पहचान के आधार पर पासपोर्ट हासिल करते थे. इनके सहारे कुछ आरोपी, जिनमें सह-आरोपी सचिन बिश्नोई भी शामिल है, विदेश भागने में सफल रहे.

जांच एजेंसी ने कहा है कि ये पूरा मामला RC-39/2022/NIA/DLI के तहत दर्ज है. ये लॉरेंस बिश्नोई गिरोह और प्रतिबंधित आतंकी संगठन बीकेआई के बीच गठजोड़ कर भारत में आतंक फैलाने की साजिश से जुड़ा है. एनआईए के मुताबिक, गिरोह की योजना थी कि भारत में आतंक और संगठित अपराध के जरिए एक समानांतर नेटवर्क तैयार किया जाए, जिसकी जड़ें देश के भीतर और बाहर तक फैली हुई थीं.

एनआईए की कार्रवाई के बाद अब तक इस केस में 18 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जबकि 4 आरोपी अभी भी फरार हैं. राहुल सरकार ने गिरोह के सदस्यों के लिए फर्जी पहचान के दस्तावेज तैयार करने के साथ उनके बैंक खातों के संचालन और पैसों के लेनदेन में भी अहम भूमिका निभाई है. इस नेटवर्क की जड़ें भारत से बाहर भी फैली हुई हैं. बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के साथ इसके सीधे आतंकी संबंध हैं.

यह मामला अगस्त 2022 में सबसे पहले दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल द्वारा दर्ज किया गया था. शुरुआती जांच के दौरान जब यह साफ हुआ कि यह केवल संगठित अपराध नहीं बल्कि आतंकी नेटवर्क से जुड़ा है, तो इसे एनआईए को सौंप दिया गया. इसके बाद से जांच एजेंसी लगातार इस नेटवर्क की तहकीकात में लगी हुई है. एनआईए का कहना है कि राहुल सरकार जैसे आरोपी इस नेटवर्क में ‘आधार स्तंभ’ की भूमिका निभाते हैं.

ऐसे लोग हथियार तो नहीं उठाते, लेकिन दस्तावेजों के हेरफेर से आतंक की नींव मजबूत करते हैं. जांच एजेंसी ने यह भी बताया कि आरोपी ने अपने नेटवर्क के जरिए सचिन बिश्नोई और अन्य सहयोगियों को विदेश भागने में प्रत्यक्ष सहायता दी. लॉरेंस बिश्नोई गिरोह और बीकेआई के बीच का यह गठजोड़ भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है. यह केवल गैंगस्टर सिंडिकेट नहीं बल्कि आतंकी मंसूबों से जुड़ा संगठित तंत्र है.

 

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