बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट से बदल गई गांव की किस्मत… किसानों ने तान दिए आलीशान मकान, खरीद लीं लग्जरी कारें

गुजरात के खेड़ा जिले में बुलेट ट्रेन परियोजना ने किसानों के जीवन में अप्रत्याशित बदलाव ला दिया है. भारत सरकार की राष्ट्रीय हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) की ओर से अहमदाबाद-मुंबई हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के लिए अधिग्रहित की गई जमीन के बदले किसानों को अच्छा मुआवजा मिला है. इससे खेड़ा जिले के भूमेल गांव के किसानों की तकदीर बदल गई है. जो पहले कच्चे मकानों में रहते थे, वे अब पक्के मकान और लग्जरी कारों के साथ बेहतर जीवन जी रहे हैं.

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खेड़ा जिले में मेहमदावाद से नडियाद तक बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए कितनी जमीन अधिग्रहित की गई, इसका सटीक आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन पूरे गुजरात में इस परियोजना के लिए 951.14 हेक्टेयर जमीन ली गई है. इसमें भूमेल गांव भी शामिल है, जहां 50 से 60 किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई.

स्थानीय किसान पीनल पटेल ने बताया, “हमारे गांव में बुलेट ट्रेन के लिए जमीन ली गई, जिसमें कुछ किसानों को 20 लाख रुपए तो कुछ को 2 से 2.5 करोड़ रुपए मिले. कुल मिलाकर गांव को अनुमानित 70 करोड़ रुपए का मुआवजा मिला. एक गुंठा जमीन की कीमत 2.40 लाख से 3 लाख रुपए तक थी. इस पैसे से हमारी जिंदगी बदल गई.”

किसान कनुभाई परमार ने अपनी कहानी साझा करते हुए कहा, “हमारी करीब 25 गुंठा जमीन अधिग्रहित हुई, जिसमें चकलासी और भूमेल क्षेत्र शामिल हैं. हमें जंत्री दर के हिसाब से अच्छा मुआवजा मिला. चकलासी की जमीन के लिए साढ़े छह लाख, भूमेल की जमीन के लिए 24 लाख और तीन मकानों के लिए 15-15 लाख रुपए मिले. कुल मिलाकर पांच मकानों का अच्छा दाम मिला. सरकार ने जो पैसा दिया, उसमें कुछ रकम जोड़कर हमने यह आलीशान घर बनाया. हमें इस बात की खुशी है.”

इस मुआवजे से गांव के कई परिवारों ने न केवल पक्के मकान बनाए, बल्कि कारें भी खरीदी लीं. पहले मिट्टी के घरों में रहने वाले ये किसान अब आधुनिक सुविधाओं के साथ जीवन जी रहे हैं. बुलेट ट्रेन परियोजना ने न सिर्फ परिवहन के क्षेत्र में प्रगति की है, बल्कि खेड़ा के किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर उनकी जिंदगी को नई दिशा दी है.

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