सूरजपुर में फर्श पर प्रसव कराने का मामला पकड़ा तूल: कलेक्टर ने गठित की जांच समिति, दोषियों पर जल्द गिरेगी गाज

सूरजपुर: भटगांव मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य केंद्र में हुई आदिवासी घटना ने पूरे जिले को झकझोर दिया है. चार घंटे तक प्रसव पीड़ा से कराहती गर्भवती महिला को न डॉक्टर मिला, न नर्स और अंततः उसे अस्पताल के कोल्ड समीज पर बच्चे को जन्म दिया गया. इस घटना ने न केवल मानवता को शर्मसार किया, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल भी खोल दी. घटना के बारे में जानकारी मिलते ही जिला रजिस्ट्रार ने टेंपरेचर लीज में दो प्रयोगशाला जांच समिति का गठन किया है.

समिति में डाॅ. कपिल पैक देवरा (जिला स्वास्थ्य अधिकारी, सूरजपुर) अध्यक्ष एवं डॉ. राकेश सिंह (विकासखंड स्वास्थ्य अधिकारी, भैयाथान) सदस्य  के रूप में शामिल हैं. जांच टीम ने प्रमुख अस्पताल परिसर का निरीक्षण किया, प्रत्यक्षदर्शियों के बयान और घटना से जुड़े हर तथ्य को दर्ज किया. लैबोरेटरी के अनुसार, नकली के खिलाफ़ बटालियन और कानूनी कार्रवाई लगभग तय मानी जा रही है, साथ ही स्वास्थ्य विभाग में लैबोरेटरी सर्जरी भी हो सकती है.

9 अगस्त की सुबह प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला को भटगांव अस्पताल में भर्ती कराया गया।.गवाहों के अनुसार, महिला चार घंटे तक अस्पताल में भर्ती रही, लेकिन कोई डॉक्टर नहीं और कोई नर्स नहीं. मजबूरन बेरोजगारों ने अस्पताल के सामान पर ही सामान रख दिया. पार्ट के बाद महिला और ससुराल को खुद का खून साफ करना पड़ा. घटना की तस्वीरें सोशल मीडिया पर ही जनाक्रोश पर आईं.

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह घटना कोई पहली घटना नहीं है, अस्पताल में कर्मचारियों की अनुपस्थिति और कठिनाई आम बात है. रिवायत ने मांग की है कि आदर्श को कड़ी सजा मिले और अस्पताल की समीक्षा में सुधार किया जाए. अब सभी नजरों के लिए कलेक्टर की आगामी कार्रवाई पर टिकी है, जो जिलों की स्वास्थ्य व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव ला सकता है.

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