डॉगी और बिल्ली पालना कई लोगों को पसंद होता है. बेशक आप कोई पेट पाल रहे हों, लेकिन हमेशा आपको कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए. कई बार डॉगी या बिल्ली हमें पंजा मार देते हैं. इसे कभी भी हल्के में न लें. मध्य प्रदेश के शहडोल में एक युवक ने इसे लेकर लापरवाही बरती और उसकी जान चली गई. युवक को बिल्ली ने पंजा मार दिया था, लेकिन युवक ने इसे सीरियसली नहीं लिया. बाद में उसकी तबीयत खराब हुई और मौत हो गई.
घटना शहडोल जिले के अमलाई थाना इलाके की है. यहां चीफ हाउस में रहने वाले 22 साल के युवक दीपक कोल को इलाज के लिए SECL सेंट्रल हॉस्पिटल लाया गया था. इलाज के दौरान दीपक की तबीयत और ज्यादा बिगड़ने लगी तो उसे शहडोल मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया. वहां इलाज के दौरान दीपक की मौत हो गई. दीपक की मौत की वजह क्या है इसे लेकर अभी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है लेकिन परिजन ने जो बात बताई है वो हैरान कर देने वाली है.
दीपक के परिजनों के मुताबिक, उनके घर में एक बिल्ली अक्सर आया करती थी. एक दिन उस बिल्ली ने दीपक पर हमला कर दिया था और उसे पंजा मार दिया था. बिल्ली के पंजा मारने से दीपक को चोट आई थी लेकिन उसने इस बात को नजर अंदाज कर दिया. इस घटना के कुछ दिन बाद अचानक दीपक की तबीयत बिगड़ने लगी और अब इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. परिजन को आशंका है कि बिल्ली के पंजा मारने के कारण ही दीपक की तबीयत बिगड़ी और उसकी मौत हुई है.
बरेली में बच्चे को रैबीज के लक्षण
वहीं, यूपी के बरेली से भी मिलता जुलता मामला सामने आया है. यहां पालतू बिल्ली के काटने पर पांच वर्ष के बच्चे को एआरवी न लगवाने पर रैबीज के चपेट में आने की आशंका है. हाइड्रो, एयरोफोबिया के लक्षण से चिकित्सक हैरान हैं. पहली बार जिले में पालतू पशु के काटने पर संदिग्ध मामला सामने आया है. बहरहाल, रैबीज की पुष्टि के लिए बच्चे को लखनऊ के केजीएमयू रेफर किया है. डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि किसी भी पालतू या आवारा पशु के काटने या पंजा मारने पर तुरंत एआरवी लगवाना जरूरी होता है. यदि ऐसा नहीं किया जाए तो संक्रमण शरीर में फैल सकता है और स्थिति गंभीर हो सकती है.
चार दिन से बिगड़ रही थी तबीयत
दरअसल, बच्चे की मां शालू सैफी ने कहा कि चार दिन पहले सिफान के व्यवहार में बदलाव देखने को मिला. वह चिड़चिड़ा होने लगा और गुस्से में चीजें फेंकने लगा. बुधवार की रात उसकी हालत ज्यादा बिगड़ गई. जब पानी सामने रखने पर वह डरने लगा और पंखे की हवा लगने पर जोर-जोर से रोने लगा. इससे घबराए परिजन उसे डॉक्टर के पास गए, जहां से उसे तुरंत बरेली रेफर कर दिया गया. उसके बाद बरेली के एक निजी अस्पताल में जब डॉक्टरों ने सिफान की जांच की तो उन्होंने उसमें हाइड्रोफोबिया पानी से डर और एयरोफोबिया हवा से डर के लक्षण देखे.
रैबीज संक्रमण के पाए गए लक्षण
डॉक्टरों ने कहा कि ये दोनों लक्षण रैबीज संक्रमण में पाए जाते हैं. बच्चे की लगातार लार टपक रही थी. वह आक्रामक व्यवहार कर रहा था और उसे सोचने-समझने में भी परेशानी हो रही थी. जब डॉक्टरों ने परिजनों से पूछताछ की तो पता चला कि सिफान को एक महीने पहले पालतू बिल्ली ने पंजा मारा था, लेकिन किसी को इस बात की गंभीरता का अंदाजा नहीं था. बच्चे को कोई भी टीका नहीं लगवाया गया था और न ही बिल्ली का कोई टीकाकरण हुआ था.