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बच्चा रहता है उदास और चिड़चिड़ा? ये इस बीमारी का लक्षण

खराब मेंटल हेल्थ एक बड़ी समस्या बन रही है. बिगड़ा हुआ लाइफस्टाइल, सोशल मीडिया और भविष्य की चिंता के कारण लोगों की मेंटल हेल्थ बिगड़ रही है. खराब मेंटल हेल्थ के कई दूसरे कारण भी हैं. जैसे मेटल ट्रॉमा. ये समस्या किसी को भी हो सकती है. बच्चे भी इसका शिकार हो सकते हैं. एक्सपर्ट्स बताते हैं की बच्चे की खराब मेंटल हेल्थ के लक्षण शुरुआत में पता नहीं चल पाते हैं. ऐसे में उसकी स्थिति बिगड़ने लगती है. जब हालत ज्यादा बिगड़ जाती है तब माता-पिता को इस बारे में पता चलता है. ऐसे में बच्चे की खराब मानसिक सेहत के बिगड़ने के लक्षणों की समय पर पहचान होना जरूरी है.

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गाजियाबाद के जिला अस्पताल में मनोरोग विभाग में डॉ. एके विश्वकर्मा बताते हैं कि बच्चों की मेंटल हेल्थ भी खराब होती है, लेकिन माता- पिता को शुरुआत में इसका पता नहीं चल पाता है. ऐसे में कुछ लक्षणों पर ध्यान देने की जरूरत है. अगर आपके बच्चे का व्यवहार बदल गया है और वह चिड़चिड़ा रहता है तो ये बच्चे की मेंटल हेल्थ खराब होने के शुरुआती लक्षण हैं.

बच्चे के साथ हुई किसी घटना या फिर परिवार में किसी के जाने के गम के कारण ऐसा हो सकता है. इसको मेडिकल की भाषा में मेंटल ट्रॉमा कहते हैं. ऐसा होने पर बच्चे को या दो बहुत अधिक नींद आती है या कम नींद आती है. वह छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगता है. माता-पिता की बातों पर ध्यान नहीं देता है और अकेले रहना ज्यादा पसंद करता है. कई मामलों में स्कूल में हुई किसी घटना से भी बच्चा मेंटल ट्रॉमा का शिकार हो सकता है. ये ट्रॉमा ही उसकी मेंटल हेल्थ को खराब करता है.

कैसे करें बच्चे की देखभाल

डॉ एके बताते हैं कि बच्चों के साथ समय बिताएं. अगर आपको लग रहा है कि बच्चा उदास है तो सबसे पहले जरूरी है कि उसके साथ समय बिताएं. उसकी परेशानी को समझने की कोशिश करें. अगर बच्चा आपसे कुछ कहना चाहता है तो उसकी बातों को सुनें. इसके बाद अपना कोई रिएक्शन दें. घर का माहौल अच्छा रखें. अगर आप चाहते हैं कि बच्चे की मेंटल हेल्थ ठीक रहे तो इसके लिए घर का माहौल भी ठीक रहना जरूरी है. इसके लिए माता- पिता बच्चे के सामने झगड़ा न करें और अच्छा व्यवहार रखें.

डॉक्टर से सलाह लें

अगर बच्चे की मेंटल हेल्थ ज्यादा बिगड़ रही है यानी वह हर समय उदास है. अजीब बातें करता है या फिर अकेले रहना पसंद करता है तो इस स्थिति में आपको मनोरोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए. डॉक्टर काउंसलिंग और दवाओं के माध्यम से उसका इलाज करेंगे.

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