Left Banner
Right Banner

पिता से नहीं मिली बच्चे की शक्ल, पत्नी की गोली मारकर कर दी थी हत्या… उम्रकैद की सजा काट रहे दोषी को राहत नहीं; क्या बोला कोर्ट?

उत्तर प्रदेश के बरेली के अलीगंज थाना क्षेत्र के गांव महोवा में 18 साल पहले एक दर्दनाक घटना हुई थी, जिसने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया था. गांव के रहने वाले हेमराज नाम के व्यक्ति ने सिर्फ इस शक में अपनी पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी थी कि उसके नवजात बेटे का चेहरा उस पर नहीं गया है. अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अब जब उसने 15 साल जेल में बिता लिए हैं तो जेल प्रशासन ने नियमों के तहत उसकी समयपूर्व रिहाई का प्रस्ताव शासन को भेजा. लेकिन शासन ने इस प्रस्ताव को सख्ती से ठुकरा दिया.

दरअसल हेमराज की शादी श्यामकली नाम की महिला से हुई थी. शादी के कुछ समय बाद उनके घर बेटे का जन्म हुआ. लेकिन बेटे का चेहरा हेमराज से नहीं मिलता था. ऐसे में हेमराज के मन में शक पैदा हो गया. उसने पत्नी पर बेवफाई का झूठा आरोप लगाना शुरू कर दिया. साल 2007 में उसने गुस्से और शक के चलते श्यामकली को गोली मार दी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई. इस घटना के बाद श्यामकली के पिता ने अलीगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस ने हेमराज को गिरफ्तार किया और मामला कोर्ट में गया.

15 साल की सजा पूरी कर ली

साल 2010 में कोर्ट ने इस हत्या को जघन्य अपराध मानते हुए हेमराज को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. तब से वह बरेली के केंद्रीय कारागार टू में बंद है और अपने किए की सजा काट रहा है. जेल नियमों के मुताबिक जब किसी कैदी ने कम से कम 14 साल की सजा पूरी कर ली हो तो जेल प्रशासन उसकी समयपूर्व रिहाई के लिए शासन को प्रस्ताव भेज सकता है. हेमराज ने 15 साल की सजा पूरी कर ली थी. इसलिए बरेली जेल प्रशासन ने उसका प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा. प्रस्ताव मिलने के बाद शासन ने पूरी प्रक्रिया शुरू की और तीन स्तरों से रिपोर्ट मांगी. इसमें जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और जिला प्रोबेशन अधिकारी शामिल हैं.

समयपूर्व रिहाई को मंजूरी नहीं दी

सभी अधिकारियों ने हेमराज की रिहाई का विरोध किया. उनका कहना था कि इतने गंभीर अपराध के बावजूद अगर समय से पहले रिहा कर दिया गया तो समाज में गलत संदेश जाएगा. इससे लोगों का न्याय व्यवस्था से विश्वास उठ सकता है. तीनों विभागों की रिपोर्ट शासन को सौंपी गई. इसके बाद रिपोर्ट राज्यपाल को आखिरी फैसले के लिए भेजी गई. राज्यपाल ने भी इन तर्कों को मानते हुए हेमराज की समयपूर्व रिहाई को मंजूरी नहीं दी. यह जानकारी अब जेल प्रशासन के जरिए हेमराज को दे दी गई है.

प्रशासन ने अपनाया सख्त रुख

प्रशासन की ओर से साफतौर पर कहा गया है कि ऐसे अपराध जिनमें किसी की जान चली गई हो. उन पर कोई रियायत नहीं दी जा सकती अगर ऐसे मामलों में समय से पहले रिहाई होने लगे, तो समाज में न्याय व्यवस्था की गंभीरता खत्म हो जाएगी. डीएम, एसएसपी और प्रोबेशन अधिकारी ने अपनी पांच बिंदुओं की रिपोर्ट में यह भी लिखा कि पत्नी की हत्या सिर्फ शक के आधार पर करना सामाजिक मूल्यों और कानून दोनों के खिलाफ है. ऐसे अपराधियों को पूरी सजा काटनी चाहिए. ताकि दूसरों के लिए भी यह उदाहरण बन सके. हेमराज ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की है. जो अभी विचाराधीन है. जब तक हाईकोर्ट कोई नया आदेश नहीं देता. तब तक उसे जेल में ही रहना होगा.

Advertisements
Advertisement