पब्लिक ब्रॉडकास्टर दूरदर्शन के लोगो का रंग लाल से बदलकर नारंगी किया गया है. 16 अप्रैल को दूरदर्शन के अंग्रेजी चैनल डीडी न्यूज ने एक्स हैंडल पर नया प्रमोशनल वीडियो शेयर किया था.
इसके कैप्शन में लिखा था- हालांकि हमारे मूल्य वही हैं, अब हम एक नए अवतार में उपलब्ध हैं. ऐसी समाचार यात्रा के लिए तैयार हो जाएं जो पहले कभी नहीं देखी गई. बिल्कुल नए डीडी न्यूज का अनुभव करें. डीडी न्यूज – भरोसा सच का.”
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
अब दूरदर्शन के लोगो के बदले रंग को लेकर कॉन्ट्रोवर्सी हो रही है. विपक्ष से लेकर प्रसार भारती (DD, AIR) के पूर्व CEO और TMC सांसद जवाहर सरकार ने दूरदर्शन लोगो के रंग के बदले जाने की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि यह अब प्रसार भारती नहीं है – यह प्रचार भारती है.
जवाहर सरकार ने X पर वीडियो शेयर करते हुए कहा, ”चुनाव से ठीक पहले प्रसार भारती के पूर्व CEO के रूप में दूरदर्शन के लोगो का भगवाकरण देखकर दुख होता है. एक तटस्थ पब्लिक ब्रॉडकास्टर अब पक्षपाती सरकार के साथ एक धर्म और संघ (RSS) परिवार के रंग को शामिल करके मतदाताओं को प्रभावित करेगा.”
उन्होंने कहा कि चुनाव से ठीक पहले दूरदर्शन के लोगो का भगवाकरण देखकर दुख होता है. नेशनल ब्रॉडकास्टर दूरदर्शन ने अपने ऐतिहासिक फ्लैगशिप लोगो को भगवा रंग में रंग दिया है. अपनी ब्रांडिंग के लिए भगवा रंग को चुना है. इसका पूर्व CEO होने के नाते मैं इसके भगवाकरण को चिंता के साथ देख रहा हूं. मैं यह महसूस कर रहा हूं कि यह अब प्रसार भारती नहीं है – यह प्रचार भारती है.
सरकार ने दूरदर्शन को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन भी बताया है. सरकार साल 2012 से साल 2016 तक दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो की देखरेख करने वाली संस्था प्रसार भारती के CEO रहे थे.
लोगो के रंग के बदलने पर लगाए जा रहे आरोपों पर प्रसार भारती के वर्तमान CEO गौरव द्विवेदी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘नारंगी रंग का नया लोगो देखने में आकर्षक है और यह बदलाव विजुअल एस्थेटिक को ध्यान में रखते हुए किया गया है. लोगो का रंग नारंगी है न कि भगवा. सिर्फ लोगो में ही बदलाव नहीं हुआ है, बल्कि हमने डीडी के पूरे लुक और फील को अपग्रेड किया गया है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोग इस बारे में अर्नगल टिप्पणी कर रहे हैं. हम पिछले छह-आठ महीने डीडी के लुक और फील को बदलने पर काम कर रहे थे.”
कांग्रेस के मनीष तिवारी ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार की ओर से भगवावाद और सरकारी संस्थानों पर कब्जा करने का एक प्रयास है. यह कदम स्पष्ट रूप से भारत के पब्लिक ब्रॉडकास्टर की तटस्थता और विश्वसनीयता को कमजोर करता है. मनीष तिवारी यूपीए सरकार के दौरान 2012 से 2014 तक केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री चुके हैं.