उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग-19 पर टोल वसूलने वाली एक फर्म के खिलाफ भदोही जिला कलेक्टर की अदालत में मामला दर्ज किया गया है. बताया जाता है कि दिल्ली स्थित फर्म पर 62.87 करोड़ रुपये की अनिवार्य स्टांप ड्यूटी के बजाय केवल 100 रुपये का भुगतान करके 15 साल का पट्टा हासिल करने का आरोप है. भदोही के एआईजी रजिस्ट्रेशन पंकज सिंह ने बताया कि फर्म ने अपने प्रतिनिधि के माध्यम से 18 मार्च, 2023 को प्रयागराज और वाराणसी के बीच एनएच-19 पर 72 किलोमीटर लंबे हिस्से पर 3144 करोड़ रुपये मूल्य का टोल वसूलने के लिए एक पट्टा समझौता किया.
सिंह ने कहा, “स्टांप अधिनियम के तहत अनुबंध मूल्य का 2 प्रतिशत स्टांप शुल्क देना आवश्यक था. ऐसे में कुल 62.87 करोड़ रुपये स्टांप शुल्क देय था. हालांकि, फर्म ने केवल 100 रुपये के स्टांप का इस्तेमाल किया, जिससे राज्य के खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ.” “जिला कलेक्टर शैलेश कुमार ने अक्टूबर 2024 में सरकारी निर्देशों और मुख्य सचिव के आदेश के आधार पर स्टांप शुल्क मामले की जांच शुरू की थी.
अधिकारी ने कहा, “जांच में पता चला कि जिस अनुबंध पर करोड़ों रुपये का स्टांप शुल्क लगना चाहिए था, उसे केवल 100 रुपये में हासिल किया गया, जिससे सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ.” सिंह ने कहा कि उन्होंने 20 जून को जिला कलेक्टर की अदालत में फर्म के खिलाफ मुकदमा दायर किया. अब इस मामले में जुलाई के पहले सप्ताह में सुनवाई होगी.
गौरतलब हो कि वाराणसी प्रयागराज नेशनल हाइवे के भदोही सीमा में लाला नगर में तोल प्लाजा स्थापित है. 18 मार्च 2023 को दिल्ली की कंपनी काशी टोल वे को एनएचएआई से 15 वर्ष के लिए टोल संचालन का अनुबंध हुआ. इसके लिए कंपनी ने 3144 करोड़ रुपए भुगतान किया. दावा है कि कंपनी ने सामान्य अनुबंध के तहत इस लीज को पंजीकृत कराया था.