कोरबा : अक्सर आपने सुना होगा कि माता-पिता बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए स्कूल भेजते हैं, ताकि बच्चें पढ़ लिखकर अफसर या बड़े स्तर के अधिकारी बने, लेकिन कोरबा जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के पाली गांव में लोग अपने बच्चों को स्कूल की जगह प्रतिदिन पढ़ने के लिए निजी मकान में भेजते हैं.
दरसअल, ऐसा इसलिए करते है, क्योंकि पाली गांव के आश्रित गांव करमीआमा में स्कूल भवन जर्जर हो गया है और छत में प्लास्टर गिरकर छड़ नजर आ रही हैं. बच्चों के लिए शाला भवन में बैठकर पढ़ना मुश्किल है और जोखिम भरा है. शिक्षक भी शाला भवन की जर्जर स्थिति को देखकर बच्चों को ऐसी हालत में नही पढ़ा सकते. उन्हें भी अध्यापन के समय होनी वाली दुर्घटना की आशंका का भय है, लेकिन जिला प्रशासन इस बड़ी समस्या से अनजान हैं.
गौरतलब है कि इस निजी मकान में 70 बच्चे पढ़ने आते हैं. शाला भवन जर्जर होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई और खेलकूद प्रभावित हो रहे हैं और प्रसाधन के लिए भी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इससे भी बड़ी समस्या है कि मध्याह्न भोजन के लिए उचित स्थान नहीं होने के कारण बच्चे खुले में नीम पेड़ के नीचे बैठकर या फिर थाली को पकड़कर खड़े होकर भोजन खाते हैं.
विचार करने वाली बात है कि शाला भवन की शिकायत के बाद भी प्रशासन इससे बेखबर है. इसकी वजह से बच्चों की पहली से पांचवी तक की क्लास एक साथ ही लगती है. सभी बच्चे एक साथ ही बैठते हैं. इससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है और उनके भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है.
खास बात यह है कि निजी मकान के स्वामी अमित लाल रिटायर्ड शिक्षक हैं और उन्हें बच्चों की समस्या से पीड़ा हुई है. फिर पूरे परिवार ने जर्जर स्कूल भवन की हालत देखते हुए बच्चों को अपना निजी मकान पढ़ाने के लिए दिया है और पिछले 3 वर्ष से बच्चों की शिक्षा यहीं संचालित है. कोरबा जिले में स्कूल शिक्षा की बदहाली, इसकदर बनी हुई है, फिर अब तक अफसरों को इस गम्भीर समस्या की जानकारी नहीं है.
अब देखना होगा कि प्रशासन, क्षेत्रीय प्रतिनिधि इस बड़ी समस्या पर किस तरह की पहल करते हैं और कब तक इस समस्या का निराकरण कर पाते हैं ?