मार्च 2026 तक देश नक्सलवाद से होगा मुक्त… छत्तीसगढ़ में 27 नक्सलियों के एनकाउंटर पर बोले अमित शाह

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के सघन जंगलों में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराज सहित 27 नक्सली मारे गए. बसवराज पर एक करोड़ रुपये का इनाम था और वह नक्सल आंदोलन का शीर्ष नेतृत्वकर्ता था.केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे नक्सलवाद को खत्म करने की लड़ाई में एक ऐतिहासिक उपलब्धि करार देते हुए कहा कि मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद का खात्मा हो जाएगा.

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बता दें कि यह मुठभेड़ नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ इलाके में बुधवार सुबह उस समय शुरू हुई, जब सुरक्षा बलों को माओवादियों के माड़ डिवीजन के वरिष्ठ कैडरों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिली.

ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के तहत नक्सलियों का खात्मा

इसके बाद नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और कांकेर जिलों की जिला रिजर्व गार्ड (DRG) की संयुक्त टीम ने इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू किया. इसी दौरान माओवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसका बलों ने मुंहतोड़ जवाब दिया.

इस अभियान को ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट का हिस्सा बताया जा रहा है. इसमें सुरक्षाबलों को भारी सफलता मिली है. यह मुठभेड़ बीजापुर जिले की कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में तेलंगाना सीमा के पास दो सप्ताह पहले हुई एक अन्य मुठभेड़ के बाद हुई है, जिसमें 15 नक्सली मारे गए थे.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस ऑपरेशन को “नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में ऐतिहासिक उपलब्धि” बताया. उन्होंने कहा, आज छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में एक ऑपरेशन में हमारे सुरक्षा बलों ने 27 खूंखार माओवादियों को मार गिराया है, जिनमें सीपीआई (माओवादी) के महासचिव और नक्सल आंदोलन की रीढ़, नंबाला केशव राव उर्फ बसवराज भी शामिल हैं. यह पहली बार है जब हमारे बलों ने किसी महासचिव स्तर के नक्सली नेता को मार गिराया है.

मार्च 2026 तक देश नक्सलवाद से होगा मुक्त

शाह ने यह भी बताया कि ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के तहत अब तक 54 नक्सली गिरफ्तार किए जा चुके हैं और 84 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. अमित शाह का दावा है कि वर्ष 2026 तक देश से नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा. बसवराज जैसे शीर्ष नेता की मौत इस दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है.

यह मुठभेड़ न केवल सुरक्षा बलों की रणनीतिक सफलता को दर्शाती है, बल्कि यह संकेत भी देती है कि अबूझमाड़ जैसे दुर्गम क्षेत्रों में भी नक्सली संगठन की पकड़ कमजोर पड़ रही है.

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