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रातभर चली ‘कोर्ट’, मिनटों में आया फैसला और हो गया 59 लाख का खेल… चौंकाने वाला है ये पूरा कांड

बेंगलुरु । एक कॉल, फिर तीन अधिकारी और इसके बाद अदालत की कार्यवाही। इस अदालत के जरिए एक आदेश निकाला गया और दो ट्रांजेक्शन में ही 59 लाख रुपये का खेल कर दिया गया। पीड़ित को जब तक हकीकत का अंदाजा हुआ, तब तक वो सबकुछ लुटा बैठे थे। अब पुलिस मामले की तहकीकात कर रही है।एक कॉल, फिर तीन अधिकारी और इसके बाद अदालत की कार्यवाही। इस अदालत के जरिए एक आदेश निकाला गया और दो ट्रांजेक्शन में ही 59 लाख रुपये का खेल कर दिया गया। पीड़ित को जब तक हकीकत का अंदाजा हुआ, तब तक वो सबकुछ लुटा बैठे थे। अब पुलिस मामले की तहकीकात कर रही है।

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12 सितंबर की दोपहर लगभग 3 बजे का वक्त रहा होगा। बेंगलुरु में मल्टीनेशनल नेशनल कंपनी में नौकरी करने वाले माधव सक्सेना (बदला हुआ नाम) उस दिन घर पर ही थे और कुछ जरूरी काम निपटा रहे थे। तभी उनके मोबाइल की घंटी बजी। फोन किसी अंजान नंबर से था। माधव ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ मौजूद शख्स ने भारी आवाज में कहा कि वो भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से बात कर रहा है।

उसने बताया कि ये केवाईसी से जुड़ा धोखाधड़ी का मामला है, इसलिए आपका मोबाइल नंबर बंद किया जा रहा है। ये सुनते ही माधव परेशान हो गए। खुद को ट्राई का अधिकारी बताने वाले शख्स ने माधव से कहा कि इस मामले में जांच हो रही है और उनकी कॉल आगे डायवर्ट की जाएगी। शख्स ने माधव से 9 नंबर दबाने के लिए कहा। माधव ने जैसे ही 9 नंबर दबाया, उनकी कॉल एक दूसरे आदमी के पास डायवर्ट हो गई।

इस नए आदमी ने खुद को मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। उसने माधव से कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल एक ऐसे बैंक अकाउंट के लिए हुआ है, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग की जा रही थी। इस आदमी ने माधव से कुछ डिटेल ली और अब कॉल को एक तीसरे शख्स के पास डायवर्ट कर दिया।

एफआईआर और वीडियो कॉल पर कोर्ट

इस तीसरे शख्स ने अपने आप को सीबीआई का अधिकारी बताते हुए माधव से कहा कि उनके नाम पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है, उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। शख्स ने कहा कि अभी थोड़ी देर बाद वर्चुअल तरीके से उनकी कोर्ट में पेशी होगी। माधव को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उनके साथ क्या हो रहा है। दिमाग में बस एक ही बात चल रही थी कि किसी तरह वो जेल जाने से बच जाएं।

फर्जी कोर्ट से जारी हुआ आदेश

कुछ देर बाद उनसे वीडियो कॉल करने के लिए कहा गया और जब माधव ने ऐसा किया तो सामने वाकई कोर्टरूम जैसा माहौल था। माधव खामोश थे और दूसरी तरफ कुछ कागजी कार्रवाई चल रही थी। थोड़ी देर बाद इस ‘कोर्ट’ में एक आदेश सुनाया गया, जिसके तहत माधव को अपने बैंक अकाउंट में जमा रकम, फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड को ट्रांसफर करने के लिए कहा गया।

रातभर वीडियो कॉल से निगरानी

माधव को बताया गया कि इस रकम की जांच होगी और बाद में इसे वापस कर दिया जाएगा। माधव से जैसा करने को कहा गया, वो करते चले गए। करीब 59 लाख रुपये की रकम ट्रांसफर होने के बाद माधव से कहा गया कि जब तक जांच नहीं होती, वो ऑनलाइन निगरानी में रहेंगे। माधव रातभर वीडियो कॉल पर रहे, लेकिन अब दूसरी तरफ से किसी की आवाज नहीं आ रही थी। उन्होंने शुरुआती नंबर पर फोन मिलाया, लेकिन अब वो भी बंद हो चुका था।

हकीकत खुली तो लगा झटका

माधव को एहसास हो गया कि वो ठगी का शिकार हुए हैं। अब वो सीधे पुलिस थाने पहुंचे और अपनी शिकायत दर्ज कराई। माधव की शिकायत पर साइबर क्राइम विभाग ने आईटी एक्ट और भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। बेंगलुरू पुलिस ने उन बैंक खातों को फ्रीज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिनमें माधव ने रकम ट्रांसफर की थी। पुलिस उन नंबरों की भी जांच कर रही है, जिनसे माधव के पास फोन आया था।

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