अहमदाबाद की विशेष CBI अदालत नंबर-7 ने मंगलवार (11 फरवरी, 2025) को रेप, अपहरण और फर्जी पहचान के मामले में आरोपी धवल हरीश चंद्र त्रिवेदी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके अलावा अदालत ने 3 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
ये मामला शुरू में गुजरात पुलिस के पास था और छोटिला पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था. पीड़िता के पिता ने गुजरात हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus) दायर की थी. इसके बाद हाईकोर्ट ने CBI को जांच सौंप दी. CBI ने 1 मई 2019 को फिर से केस दर्ज कर जांच शुरू की.
आरोपी ने कैसे फंसाया?
46 साल का आरोपी धवल त्रिवेदी पहले से ही POCSO और रेप केस में दोषी ठहराया जा चुका था. जेल में रहने के दौरान वो पैरोल पर बाहर आया और स्पोकन इंग्लिश की कोचिंग क्लास शुरू की. इस काम में उसकी जेल के कुछ कैदियों ने भी मदद की. आरोपी ने खुद को अमीर और ज्योतिषी बताकर लड़कियों को अपने जाल में फंसाना शुरू किया. एक युवती को भी आरोपी ने इसी तरह ब्रेनवॉश कर अपने साथ रहने के लिए मजबूर कर दिया. आरोपी उसे देशभर के कई शहरों में घुमाता रहा और इस दौरान उसका यौन शोषण करता रहा. इस दौरान आरोपी ने पीड़िता के साथ मारपीट भी की.
CBI की जांच और अदालत का फैसला
CBI ने 14 अक्टूबर 2020 को चार्जशीट दाखिल की और पूरी जांच के बाद 31 मई 2021 को सप्लीमेंट्री चार्जशीट भी दायर की. कोर्ट ने सभी सबूतों को देखने के बाद आरोपी को दोषी करार दिया और उसे आजीवन कारावास (मृत्यु तक जेल) की सजा सुना दी.
आदतन अपराधी है धवल त्रिवेदी
धवल त्रिवेदी का आपराधिक इतिहास पुराना है. पहले भी वो नाबालिग से रेप के मामले में दोषी ठहराया जा चुका था. फिर भी, जेल से बाहर आते ही उसने दोबारा अपराध किया. अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘ऐसे अपराधियों के लिए समाज में कोई जगह नहीं है. ये सजा अन्य अपराधियों के लिए चेतावनी होगी कि कानून के हाथ लंबे होते हैं और अपराधी को उसके गुनाह की सजा जरूर मिलेगी.’