ग्राहक को मोबाइल कंपनी को देने होंगे 36,774 रुपए, ये है पूरा मामला

उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग (शाजापुर) ने मोबाइल स्पेयर पार्ट उपलब्ध कराने में विफलता के लिए मोबाइल कंपनी को जिम्मेदार माना। कोर्ट ने कंपनी को बाजार में अपने उत्पाद के स्पेयर्स पार्ट्स उपलब्ध कराने में विफलता के लिए जिम्मेदार माना।

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ग्राहक को मौजूदा उत्पाद की मरम्मत के बजाय नए उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर करने को व्यावसायिक प्रथा के खिलाफ मानते हुए सजा दी। कोर्ट ने उत्पाद का मूल्य, ब्याज और मानसिक त्रास व परिवाद व्यय की राशि देने को कहा है।

प्रार्थी आनंदीलाल पाटीोदार अधिवक्ता ने लॉकडाउन में जुलाई में मोबाइल उपयोग किया था। पाटीदार ने यह मोबाइल 16 जून 2016 को 47 हजार में खरीदा था। उपयोग के दौरान मोबाइल चार्जिंग शॉकेट पिन खराब हो गई। कंपनी के अधिकृत सर्विस सेंटर पर दिया।

कंपनी की ओर से कहा गया कि हैंडसेट 4 साल पुराना होने से गारंटी पीरियड समाप्त हो गई है। बाजार में पार्ट्स उपलब्ध नहीं है। कंपनी ने पुराने मॉडल के पार्ट उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी नहीं ली। इस आधार पर रिपेयरिंग करने से और पार्ट उपलब्ध कराने से इंकार किया।

ग्राहक को मानसिक कष्ट, व्यवसायिक नुकसान का सामना करना पड़ा। इस पर मजबूर होकर उन्होंने उपभोक्ता न्यायालय की शरण ली। मामले में उनकी ओर से अश्विन पाटीदार, विक्रम गिरि, सतीश राठौर एडवोकेट ने पैरवी की।

न्यायालय ने उनके पक्ष में 2016 से 2020 तक की अवधि के हैंडसेट (मोबाइल) के मूल्यह्रास की राशि कम कर परिवाद पर 6 प्रतिशत ब्याज, परिवाद का व्यय 3000 रुपए और मानसिक कष्ट के 5000 रुपए अदा करने का आदेश दिया। उसके बाद वसूली दौरान विपक्षी मोबाइल कंपनी ने उनको 36,774 रुपए का भुगतान किया।

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