उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में 17 फरवरी को शिव नवरात्र के रूप में शिव-पार्वती विवाह महोत्सव की शुरुआत होगी। लगातार दस दिन भगवान महाकाल को हल्दी लगाकर दूल्हा रूप में शृंगारित किया जाएगा। महापर्व को लेकर मंदिर में तैयारी की जा रही है।
बुधवार से गर्भगृह में रुद्रयंत्र व रजत मंडित दीवार की सफाई होगी। इसके लिए दिल्ली से स्वर्णकार की टीम मंगलवार को उज्जैन पहुंचेगी। बारह ज्योतिर्लिंग में महाकाल एक मात्र ज्योतिर्लिंग हैं, जहां महाशिवरात्रि का उत्सव 10 दिन तक मनाया जाता है। इस बार तिथि वृद्धि के चलते यह उत्सव पूरे 11 दिन मनाया जाएगा।
केमिकल से साफ सफाई करेंगे
शिव विवाह उत्सव के दौरान राजा के आंगन का कोना-कोना स्वर्णिम आभा से दमकेगा। मंगलवार को विश्राम धाम, सभा मंडप की रंगाई पुताई के साथ इसकी शुरुआत हो जाएगी। बुधवार से दिल्ली के स्वर्णकार की टीम गर्भगृह में रजत मंडित दीवार व चांदी के रुद्रयंत्र की हर्बल केमिकल से साफ सफाई करेगी।
गर्भगृह में विराजित भगवान गणेश, माता पार्वती, कार्तिकेय आदि की रजत मूर्तियों की पालिश होगी। ज्योतिर्लिंग के शिखर पर स्वर्ण आवरण की भी साफ सफाई होगी। 17 फरवरी को महाशिवरात्रि से पहले साफ सफाई, रंग रोगन आदि का काम पूर्ण कर लिया जाएगा।
कोटितीर्थ कुंड की सफाई होगी
महाकाल मंदिर परिसर स्थित कोटितीर्थ कुंड धार्मिक दृष्टिकोण से अलभ्य है। इसी कुंड के जल को आरओ प्लांट में और शुद्धकर भगवान का नित्य अभिषेक पूजन किया जाता है। महाशिवरात्रि से पहले इस कुंड की भी साफ सफाई की जाएगी।
कुंड में विभिन्न प्रकार की मछलियां सहित अन्य जलीय जीव मौजूद रहते हैं। इन्हें मत्स्य विभाग के विशेषज्ञों की देख रेख में शिप्रा में स्थानांतरित किया जाएगा।
महाशिवरात्रि पर ये रहेगी दर्शन व्यवस्था
सामान्य दर्शनार्थी
महाशिवरात्रि पर 26 फरवरी को सामान्य दर्शनार्थियों को कर्कराज पार्किंग से भील धर्मशाला गंगा गार्डन, चारधाम मंदिर, शक्तिपथ के रास्ते महाकाल महालोक के मानसरोवर फैसिलिटी सेंटर से टनल के रास्ते गणेश व कार्तिकेय मंडपम से भगवान महाकाल के दर्शन कराए जाएंगे।
वीआईपी
प्रोटोकाल के तहत आने वाले वीआईपी तथा वीवीआईपी दर्शनार्थियों को बेगमबाग के रास्ते नीलकंठ द्वार से मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। महाशिवरात्रि पर प्रोटोकाल दर्शन के लिए 250 रुपये का निर्धारित शुल्क चुकाना होगा।
वृद्ध व दिव्यांग
महाशिवरात्रि पर वृद्ध व दिव्यांग दर्शनार्थियों को मंदिर के प्रशासनिक भवन के सामने अवंतिका द्वार से मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा।