हनुमान जयंती: कलचुरी कालीन मंदिर में पूरी होती है अभिलाषा, नारियल बांधने से बन जाते हैं बिगड़े काम

रायपुर: इस शहर को मंदिरों के शहर के नाम से भी जाना जाता है. रायपुर में कुछ ऐसे ही ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर हैं जो कलचुरीकाल में बनाए गए थे. वैसे तो आपने हनुमान जी के मंदिर में चोला चढ़ाते या बंदन लगाते हुए भक्तों को देखा होगा. लेकिन यहां का एक मंदिर ऐसा है जिसमें चोला नहीं चढ़ाया जाता बल्कि नारियल और प्रसाद ही चढ़ाए जाते है. हनुमान जी ही एक ऐसे देवता है जिसे पृथ्वी पर साक्षात देवता के रूप में जाना जाता है.

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बावली हनुमान मंदिर: रायपुर की पुरानी बस्ती स्थित प्राचीन और ऐतिहासिक बावली में सफाई के दौरान हनुमान जी की तीन प्रतिमा मिली थी और यह तीनों भाई बताए जाते हैं. वैसे तो रायपुर के मोहल्ले में छोटे-बड़े कई हनुमान जी के मंदिर हैं. लेकिन रायपुर शहर में प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में 5 मंदिरों को गिना जाता है.

500 साल पुराना मंदिर: बावली हनुमान मंदिर के पुजारी मोहन पाठक ने बताया कि बावली हनुमान जी का मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना है. बावली में सफाई के दौरान तीन हनुमान जी की मूर्ति प्रकट हुई थी. स्वप्न के अनुसार तीनों हनुमान जी की मूर्ति को अलग अलग जगह पर स्थापित किया गया, जिसमें पहली प्रतिमा बावली के बाजू में स्थापित किया गया. दूसरे हनुमान जी की प्रतिमा दूधाधारी मठ में स्थापित की गई. तीसरे हनुमान जी की प्रतिमा रायपुर के गुढ़ियारी में स्थापित की गई. बावली से प्रकट हुए हैं इसलिए पुरानी बस्ती स्थित हनुमान जी के मंदिर को बावली वाले हनुमान जी के नाम से जाना जाता है.

आस्था का प्रतीक बन गया: इस मंदिर से भक्तों की बड़ी आस्था जुडी हुई है, जो भी भक्तों की मनोकामना है वह यहां पूर्ण होती है. भक्त मनोकामना नारियल भी इस मंदिर में बांधते हैं जिससे उनकी मनोकामना पूर्ण हो. इसके साथ ही बावली को सिद्धकुंड भी माना गया है. मान्यता है कि यहां के जल को शरीर में लगाने से कई तरह के रोग दूर हो जाते हैं. घर में इसका छिड़काव करने से बुरी शक्तियों का नाश हो जाता है.

आज होगी विशेष पूजा: शनिवार को हनुमान जन्म उत्सव के दिन हनुमान मंदिर में पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा. इसके बाद भोग भंडारा का भी आयोजन मंदिर में होता है.

तत्यापारा चौक: शहर के तत्यापारा चौक स्थित हनुमान मंदिर की ट्रस्टी मिलिंद शेष ने बताया कि कलचुरीकाल के 11वीं शताब्दी का मंदिर है. इस मूर्ति की स्थापना मराठा शासन काल में हुई थी. मंदिर समिति के पास इसके रिकॉर्ड लगभग चार सौ साल पुराने थे, लेकिन पुरातत्व विभाग के मुताबिक यह मंदिर लगभग 1100 साल पुराना है.

क्या है मान्यता: ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी का चोला निकालने के समय जब चोला नीचे गिरा तो उसके अंदर से हनुमान जी की मूर्ति निकली. पुरातत्व विभाग ने जब देखा तो बताया कि इस मूर्ति की खासियत यह है कि हनुमान जी के एक पैर में कालमणि राक्षस है. एक हाथ हनुमान जी की छाती में है और एक हाथ में उनकी गदा है. रायपुर तत्यापारा के इस मंदिर को पहले दक्षिण मुखी हनुमान के मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में मंगलवार और शनिवार के दिन विशेष पूजा आराधना के साथ ही भजन पाठ भी किया जाता है.

9 दिनों तक होता है कीर्तन: इस मंदिर में नौ दिनों तक महाराष्ट्र का कीर्तन भी होता है. हनुमान जी के इस मंदिर में नारियल और गुड़ चना चढ़ाई जाती है. पुरातत्व विभाग ने इस मूर्ति में चोला और पानी चढ़ाने से मना किया है. इस मूर्ति को पानी से पोछना भी मना है.

इतिहासकार की राय: इतिहास के डॉक्टर रमेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि रायपुर छत्तीसगढ़ का एक प्राचीन नगर है. यहां के प्राचीन और ऐतिहासिक हनुमान मंदिर कलचुरीकालीन और भोसला कालीन मंदिर हैं. प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में तत्यापारा चौक में स्थित हनुमान मंदिर, पुरानी बस्ती स्थित बावली हनुमान मंदिर, दूधाधारी मठ में स्थित हनुमान मंदिर, गुढ़ियारी स्थित मच्छी तालाब के पास स्थित हनुमान मंदिर और गोल बाजार में स्थित हनुमान मंदिर प्रमुख और प्राचीन मंदिर माने गए हैं. वैसे तो रायपुर शहर के हर मोहल्ले में छोटे और बड़े हनुमान जी के मंदिर मिलते हैं.

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