उत्तर प्रदेश के झांसी में भर्ती परीक्षा PET (प्रारंभिक अर्हता परीक्षा) में नकल माफियाओं का बड़ा खेल बेनकाब हो गया है. झांसी के राजकीय पॉलिटेक्निक केंद्र पर शनिवार को चल रही PET परीक्षा से ठीक पहले ऐसा फर्जीवाड़ा पकड़ा गया जिसने सबको हैरान कर दिया. यहां प्रयागराज का अभ्यर्थी पवन कुमार साहू अपनी जगह किसी और को परीक्षा दिलाने लाया और खेल का हिस्सा बन गया. लेकिन बायोमेट्रिक सिस्टम ने उनकी पूरी चालाकी पर पानी फेर दिया.
वहीं आपको बता दें कि पकड़े गए आरोपी से पूछताछ में पूरे खेल का असली चेहरा सामने आया. पकड़े गए फर्जी परीक्षार्थी ने अपनी पहचान मोहम्मद इलियास पुत्र अब्बास अली निवासी काशी के रूप में बताई. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इलियास काशी में एक कोचिंग चलाता है और उसने परीक्षा देने के लिए किसी और को नहीं बल्कि अपने ही शिष्य पवन कुमार साहू पुत्र घनश्याम साहू निवासी प्रयागराज को इस्तेमाल किया. आरोपी ने पूछताछ में यह भी बताया कि उसकी योजना यह थी कि पवन साहू परीक्षा केंद्र के बाहर खड़ा रहेगा और उसका गुरू इलियास उसकी जगह परीक्षा देकर निकल जाएगा.
लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया. परीक्षा शुरू होने से पहले ही जब बायोमेट्रिक उपस्थिति का मिलान किया गया तो चेहरा और फिंगरप्रिंट में अंतर निकल आया. तुरंत शक गहरा गया और सख्ती से पूछताछ की गई तो पूरा खेल उजागर हो गया.
मौके से भाग निकला चेला
मिली जानकारी के अनुसार जैसे ही इलियास पकड़ा गया, बाहर खड़ा पवन साहू मौके से फरार हो गया. पुलिस ने इलियास को दबोचकर सीपरी बाजार थाने पहुंचाया. जहां घंटों तक उससे पूछताछ चली. पूछताछ में सामने आया कि दोनों ने मिलकर यह फर्जीवाड़ा रचा था और इसके पीछे मोटी रकम लेने का भी एंगल हो सकता है.
पुलिस ने शुरू की जांच
एडीएम प्रशासन और परीक्षा के नोडल अधिकारी शिव प्रताप शुक्ला के साथ-साथ पुलिस अधीक्षक नगर ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि इलियास को मौके पर पकड़कर थाने ले जाया गया. वहीं फरार पवन साहू के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. सीपरी बाजार थाना पुलिस ने दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी और परीक्षा अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है.
प्रदेशभर में पकड़ाए मुन्नाभाई
झांसी की यह घटना कोई अकेली नहीं है. PET परीक्षा के दौरान लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, मेरठ और प्रयागराज समेत कई जिलों में भी ऐसे मुन्नाभाई पकड़े गए हैं, जो मोटी रकम लेकर दूसरों की जगह परीक्षा देने पहुंचे थे. सूत्रों का कहना है कि नकल माफिया हर अभ्यर्थी से 50 हज़ार से लेकर दो लाख रुपये तक वसूल रहे थे.