राजस्थान के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में पहली बार डॉग स्क्वॉड तैनात किया गया। ये फॉरेस्ट एरिया में वन्य जीव तस्करी और शिकारियों को रोकेंगे। इसमें लूसी बेल्जियन मेलिनोइस नस्ल की फीमेल डॉग है। इस नस्ल के डॉग ने ओसामा बिन लादेन को पकड़ने में मदद की थी।
इस प्रोजेक्ट के लिए देश के 14 टाइगर रिजर्व को चुना गया था। इसमें से एक सवाई माधोपुर का रणथम्भौर टाइगर रिजर्व है। इन डॉग्स को आईटीबीपी पंचकूला (हरियाणा) से ट्रेनिंग मिली है। सेना भी इसी ब्रीड के डॉग्स को प्राथमिकता देती है।
रणथंभौर टाइगर रिजर्व के सीसीएफ अनूप के आर बताते हैं- रणथम्भौर टाइगर रिजर्व को डॉग स्क्वॉड मिलने के साथ ही यह राजस्थान का पहला टाइगर रिजर्व बन गया, जिसमें डॉग को तैनात किया गया है।
डॉग की सूंघने की क्षमता बहुत अधिक होती है। इसके चलते इसे सेना, पुलिस के बेड़े में शामिल किया जाता है। लूसी को किसी भी वस्तु को सूंघ कर अपराध स्थल से साक्ष्य जुटाने और उन सुरागों के आधार पर अपराध में शामिल व्यक्तियों की पहचान करने की ट्रेनिंग दी गई है। अब वह रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में अवैध शिकार के परिवहन के दौरान वाहनों को सूंघ कर उनका पता लगा सकेगी। इसी के साथ क्राइम सीन को सूंघकर अपराधियों तक पहुंच सकेगी।
इससे जल्द से जल्द तस्करों की धरपकड़ हो सकेगी। अब तक तस्करों तक पहुंचने में जो समय लग रहा था वह कम हो जाएगा। लूसी को खास इसी के लिए ट्रेनिंग दी गई है।
लूसी के लिए लगाया स्टाफ सीसीएफ अनूप के आर ने बताया- रणथंभौर टाइगर रिजर्व में लूसी के लिए डॉग हैंडलर मुकुट मीणा (वन रक्षक) और सहायक डॉग हैंडलर रोहित मीणा को तैनात किया गया है। ये उसके साथ हमेशा रहेंगे। अगर प्रयोग सफल रहा तो बेल्जियन मेलिनोइस नस्ल के अन्य डॉग भी इस बेड़े में शामिल किए जाएंगे।
ओसामा को पकड़ने भी यही ब्रीड गई थी डॉग एक्सपर्ट मयंक शर्मा बताते हैं- बेल्जियन मेलिनोइस को लोग अक्सर जर्मन शेफर्ड समझ लेते हैं। आमतौर पर ये जर्मन शेफर्ड की तरह नजर आते हैं। ये ब्रीड तो सेम है, लेकिन ये चरवाहा नस्ल के हैं, जो सुरक्षा और जांच एजेंसियों के काम आने वाले डॉग्स हैं। बेल्जियन नस्ल के इन डॉग्स को ज्यादातर पुलिस और सैन्य K-9 यूनिट्स के लिए भी अव्वल दर्जे का डॉग माना जाता है।
इस नस्ल के डॉग ने ओसामा बिन लादेन को पकड़ने के मिशन में सहायता की थी। ये डॉग्स पैराशूट या एयरक्राफ्ट से सहजता से उतर जाते हैं।