चुनाव आयोग ने बिहार में चल रहे मतदाता गणना फॉर्म की प्रक्रिया पर विपक्षी दलों की ओर से सवाल उठाने को आश्चर्यजनक बताया है. ईसी सूत्रों के मुताबिक, मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया समय से पहले पूरी होने के बाद भी सवाल उठाया जाना आश्चर्यजनक है. कुछ राजनीतिक दल के नेता मतदाता सूची की शुद्धीकरण से नाखुश हैं. वह चाहते हैं कि मृत, स्थानांतरित, लापता और फर्जी मतदाता बिहार चुनाव में मतदान करें.
चुनाव आयोग के सूत्र ने आगे कहा कि बिहार के सभी 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों की ओर से डेढ़ लाख बूथ लेवल एजेंटों (BLA) ने पूरी मेहनत के साथ SIR प्रक्रिया में हिस्सा लिया, बीएलए की ओर से प्रक्रिया में पूरा सहयोग होने के बाद भी इस तरह के आरोप के पीछे का इरादा सार्वजनिक होना चाहिए.
बिहार में एसआईआर प्रक्रिया को लेकर आरजेडी-कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगाया है. विपक्षी दलों का आरोप है कि चुनाव से ठीक पहले इस तरह की प्रक्रिया अपनाकर चुनाव आयोग सत्ता पक्ष को लाभ पहुंचाने की कोशिश कर रहा है. विरोधियों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यह प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई गई, क्या तब इसकी जरूरत नहीं थी या फिर इरादा कुछ और था.
राज्य में एसआईआर को लेकर विपक्षी दल लगातार विरोध कर रहे हैं. मंगलवार को बिहार के विधानसभा में भी इसे लेकर काफी हंगामा देखने को मिला है. आरजेडी-कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने काले कपड़े पहनकर इसका विरोध किया और सरकार से इसे रोकने की मांग की. विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर लोकतंत्र को खत्म करने का प्रयास कर रही है.
तेजस्वी का आरोप-बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा EC
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है और वही चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश कर रही है. हम लोग चाहते हैं कि बिहार विधानसभा में इस मुद्दे पर चर्चा हो, लेकिन सरकार के लोग भाग रहे हैं, आखिर क्या कारण है कि सरकार एसआईआर के मुद्दे पर भाग रही है, आखिर किस बात का डर है?
बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार मैदान में उतर रहे जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी कहा है कि हम पहले दिन से ही SIR के खिलाफ हैं. हम कहते आ रहे हैं कि चुनाव आयोग ने समाज के उन लोगों के नाम हटाने का प्रयास किया है जो सत्ताधारी दल के खिलाफ हैं, जो प्रवासी मजदूर हैं, जो गरीब हैं और जो व्यवस्था से नाखुश हैं
बिहार के 97.30 फीसदी मतदाताओं ने फॉर्म जमा कर दिए
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का कार्य जारी है. चुनाव आयोग की ओर से उपलब्ध कराई गई ताजा जानकारी के अनुसार अब केवल 2.70 फीसदी मतदाता फॉर्म ही भरने के लिए बचे हुए हैं. आज तक 97.30 फीसदी मतदाताओं ने 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाली मसौदा मतदाता सूची में शामिल होने के लिए अपना गणना फॉर्म जमा कर दिया है.
52.30 लाख से ज्यादा मतदाता अपने पते पर नहीं मिले
आयोग ने कहा है कि एसआईआर अभियान में 21 जुलाई तक घर-घर जाकर किए गए सर्वेक्षण के दौरान 52.30 लाख से ज्यादा मतदाता अपने पते पर नहीं मिले हैं जिनमें से लगभग 18.66 लाख मतदाता मृत पाए गए हैं. 26 लाख स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं जबकि लगभग 7.5 लाख मतदाता कई जगहों पर रजिस्टर्ड पाए गए हैं और लगभग 11484 का पता नहीं चल पाया है