सुल्तानपुर: जिले में दुर्गापूजा, दीपावली और ग्रामीण मेलों के आगमन के साथ ही त्योहारों का माहौल चहल-पहल से भर गया है। मुंबई, गुजरात, दिल्ली और कोलकाता जैसे बड़े शहरों से बड़ी संख्या में परदेशी अपने पैतृक गांवों की ओर लौट रहे हैं. इनकी वापसी से गांवों और कस्बों में रौनक लौट आई है सुल्तानपुर की दुर्गापूजा देशभर में प्रसिद्ध है और इसे कोलकाता के बाद दूसरा सबसे बड़ा दुर्गापूजा महोत्सव माना जाता है.
शहर से लेकर गांवों तक यह पर्व श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाया जा रहा है. दीपावली, धनतेरस और भैया दूज जैसे त्योहारों पर परिवारों में एकजुटता का दृश्य देखने को मिल रहा है. बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु की कामना कर रही हैं. ग्रामीण मेलों की तैयारी जोरों पर दशहरे के बाद भदैया क्षेत्र के गांवों में लगभग एक महीने तक मेलों का आयोजन होता है.
इन मेलों में स्थानीय व्यंजन जैसे चाट, चोटही जलेबी, गुरगट्टी, और खेती-बाड़ी के उपकरण जैसे फावड़े और हंसिया भी बेचे जाते हैं. यह मेले ग्रामीण संस्कृति और लोकजीवन का अहम हिस्सा हैं. कई गांवों में मेलों की तिथियां तय की जा चुकी हैं. इनमें विकवाजितपुर का भैया दूज पर लगने वाला दोमुहा का बझुलिया मेला प्रमुख है. इसके अलावा कामतागंज, सिप्तापुर, लोदीपुर, सेमरी, दहलवा, बभनगंवा, अटरा, ज्ञानीपुर, रामगंज, प्रतापगंज, अहिमाने, इस्लामगंज, परऊपुर, जुड़ारा, भपटा और ऊंचहरा सहित दर्जनों गांवों में भी मेले आयोजित होंगे. परदेसियों की वापसी से गूंजे गांव अभियाखुर्द, अभियाकला, हनुमानगंज, पखरौली, लोदीपुर और बेलामोहन जैसे कई गांवों के परदेशी अपने घरों की राह पर हैं. मुंबई से आदित्य पांडेय, दुर्गेश तिवारी और संतोष पांडेय सहित कई लोग अभियाखुर्द लौटने की तैयारी में हैं.
इसी तरह, हनुमानगंज के प्रदीप पांडेय, अनिल कुमार, सुरेश कुमार और जीतलाल समेत लगभग दो दर्जन लोग गुजरात, सूरत, मुंबई और नासिक से अपने घरों की ओर रवाना हो चुके हैं. त्योहारों की इस वापसी ने पूरे जिले में खुशी और उमंग का माहौल बना दिया है.