सोनभद्र : उत्तर प्रदेश के सुदूर पूर्वी छोर पर स्थित, कोयला संपदा से परिपूर्ण किंतु विकास की दौड़ में पिछड़ता शक्तिनगर शुक्रवार को एक बड़े जनाक्रोश का गवाह बना.यहां की तपती धरती पर सैकड़ों की संख्या में विस्थापित ग्रामीणों और मजदूरों ने अपने हक की लड़ाई के लिए शंखनाद किया.
“विस्थापित संघर्ष समिति” के बैनर तले इन आक्रोशित लोगों ने NCL (नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) के खड़िया क्षेत्र के महाप्रबंधक कार्यालय एवं आवासीय परिसर के मुख्य गेट पर जोरदार धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया.
दलाली-कोटा पर वार, रोजगार पर जोर!
गर्मी की प्रचंड मार के बीच भी, ग्रामीणों का जोश ठंडा नहीं पड़ा। वे एक जुलूस की शक्ल में एकत्रित हुए और NCL प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.उनकी मुख्य मांग थी – “80 प्रतिशत विस्थापितों एवं प्रभावितों को रोजगार दो.” इसके साथ ही, उन्होंने कोयला खदानों में व्याप्त “दलाली-कोटा सिस्टम” को तुरंत बंद करने की मांग करते हुए यह हुंकार भरी कि “खदान में पहला अधिकार विस्थापितों का.”
सुरक्षा घेरे में प्रदर्शन, दर्द भरी दास्तान
विस्थापितों के इस बड़े विरोध प्रदर्शन को देखते हुए NCL प्रशासन ने पहले से ही मुख्य गेट को बंद कर दिया था.मौके पर NCL के सुरक्षाकर्मी सहित शक्तिनगर थाना पुलिस की भारी फ़ोर्स तैनात थी, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके.
इस दौरान, विस्थापित ग्रामीणों ने अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि वे स्थानीय होने के बावजूद अपने हक और अधिकार के लिए संघर्ष करने को विवश हैं। उनका कहना था कि जिन खदानों पर उनका पहला अधिकार होना चाहिए, वहां कंपनी अपनी मनमर्जी और हुकूमत चला रही है। विस्थापन ने उनके सामने रहने-खाने सहित कई गंभीर समस्याएं खड़ी कर दी हैं.
‘जब तक समाधान नहीं, तब तक नहीं हटेंगे पीछे‘
आक्रोशित विस्थापितों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि जब तक NCL के जिम्मेदार अधिकारी और महाप्रबंधक स्वयं मौके पर आकर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं निकालते, तब तक वे धरना स्थल से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. सोनभद्र की इस तपती धूप में, विस्थापितों का यह संघर्ष, अपने खोए हुए हक और सम्मान को वापस पाने की एक बड़ी मिसाल बन गया है.अब देखना यह है कि NCL प्रशासन इस पर क्या रुख अपनाता है और कब तक यह “हक” का संग्राम जारी रहता है.