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दुनिया का पहला देश जहां सेक्स वर्कर को मिलेगी मैटरनिटी लीव और पेंशन.. बदली हजारों की जिंदगी

इस बात को हम और आप कितना भी नकारे लेकिन दुनिया के हर देश में सेक्स वर्कर होती हैं. इन महिलाओं की जिंदगी आम महिलाओं की जिंदगी से ज्यादा मुश्किल होती है. इन के सामने जहां एक तरफ पैसा कमाना और जिंदगी जीना मुश्किल होता है. वहीं, दूसरी तरफ इन्हें देश में सम्मान मिलना और पॉलिसी का हिस्सा बनना, सरकारी योजनाओं का हिस्सा बनना इन के लिए अगल मुसीबत बनता है.

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दुनिया के कई देशों में इन सेक्स वर्कर्स को किसी तरह के अधिकार नहीं दिए जाते, लेकिन बेल्जियम एक ऐसा देश है जिसने साल 2022 में न सिर्फ सेक्स वर्क को अपराध की कैटेगरी से हटाया और इसे लीगल किया. इसी के बाद देश ने फिर एक और ऐतिहासिक कदम उठाया और सेक्स वर्कर्स को मैटरनिटी लीव और पेंशन भी दी.

कानून से पहले देश में कैसे थे हालात

बेल्जियम की एक सेक्स वर्कर सोफी ने बताया, इस कानून से पहले मैं 9 महीने की प्रेगनेंट होने के बाद भी पैसे कमाने के लिए सेक्स वर्क करने को मजबूर थी. सोफी पांच बच्चों की मां है. सोफी ने कहा कि जब उनका पांचवां बच्चा होने वाला था तो उनको डॉक्टर ने बेड रेस्ट के लिए कहा था लेकिन ऐसा करना उनके लिए मुमकिन नहीं था, क्योंकि अगर वो काम नहीं करती तो फिर कमाती कैसे.

सोफी ने कहा, मैं काम करना बंद नहीं कर सकती थी क्योंकि मुझे पैसों की जरूरत थी. उन्होंने आगे कहा कि सेक्स वर्कर होने के बाद जब उन्हें अब मैटरनिटी लीव और पेंशन मिल रही है इससे उनकी जिंदगी बहुत आसान हो गई है.

किस तरह के अधिकार दिए जा रहे हैं?

बेल्जियम के ऐतिहासिक कदम और नए कानून के चलते अब सेक्स वर्कर्स को कई तरह के अधिकार दिए गए हैं. जिनके तहत वो वर्क कॉन्ट्रैक्ट, स्वास्थ्य बीमा, पेंशन, मैटरनिटी लीव और सिक लीव (Sick leave) के हकदार होंगे. साथ ही इसे बिल्कुल किसी और नौकरी की तरह ही माना जाएगा और सारे वैसे ही अधिकार मिलेंगे. सोफी ने कहा, हमारे लिए बाकी लोगों की तरह जीने का यह एक मौका है.

दुनिया भर में करोड़ों सेक्स वर्कर हैं. न सिर्फ बेल्जियम बल्कि जर्मनी, ग्रीस, नीदरलैंड और तुर्की सहित कई देशों में सेक्स वर्कर को कानूनी मान्यता दी गई है, लेकिन इनको लीव और पेंशन देने का ऐतिहासिक काम सिर्फ बेल्जियम ने किया है.

कैसे कानून में हुआ बदलाव?

बेल्जियम ने सेक्स वर्कर को लीगल करने का फैसला साल 2022 में हुए बड़े आंदोलन के बाद लिया था. महीनों तक देश में इसको लेकर प्रदर्शन हुआ था. कोविड के समय देश में सेक्स वर्कर्स की मदद करने में कमी की गई इसी को लेकर आवाज उठाई गई थी, जिसके नतीजे के तौर पर सेक्स वर्क को लीगल करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया था.

इस आंदोलन में सबसे आगे रहने वालों में से एक विक्टोरिया थी, जो बेल्जियन यूनियन ऑफ सेक्स वर्कर्स (यूटीएसओपीआई) की अध्यक्ष थीं और पहले 12 साल तक एस्कॉर्ट थी. उनके लिए यह एक निजी लड़ाई थी. विक्टोरिया सेक्स वर्क को एक सामाजिक सेवा मानती है. उन्होंने कहा, अगर कोई कानून नहीं है और आपकी नौकरी अवैध है, तो आपकी मदद के लिए कोई प्रोटोकॉल नहीं हैं. यह कानून लोगों को हमें सुरक्षित बनाने के लिए एक साधन बन कर सामने आया है.

देश में कानून की हो रही आलोचना

ह्यूमन राइट्स वॉच की रिसर्चर एरिन किलब्राइड ने कहा, यह अब तक दुनिया में कहीं भी देखा गया सबसे अच्छा कदम है, हर देश को इस दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है. आलोचक ने कहा कि सेक्स वर्क व्यापार तस्करी, शोषण और दुर्व्यवहार का कारण बनता है, जिसे यह कानून नहीं रोक पाएगा. गैर सरकारी संगठन इसाला की स्वयंसेवक जूलिया क्रुमियरे ने कहा, यह कानून खतरनाक है क्योंकि यह एक ऐसे पेशे को सामान्य बना देता है जो हमेशा से हिंसक रहा है.

जहां एक तरफ देश में इस कानून का समर्थन किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ इसका विरोध भी हो रहा है. जूलिया क्रुमियरे ने कहा कि हजारों महिलाएं लेबर अधिकार (Labour Rights) नहीं चाहती हैं बल्कि वो इस नौकरी से बाहर निकलना चाहती हैं और सामान्य जीवन गुजारना चाहती हैं. साथ ही जूलिया मानती है कि दुनिया में ऐसा कोई तरीका नहीं है जो सेक्स वर्क को सुरक्षित बनाता हो.

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