डीडवाना – कुचामन : जिले के नावां उपखण्ड के भगवापुरा निवासी एक पिता की संघर्ष भरी कहानी ने सरकारी चिकित्सा व्यवस्था की हकीकत उजागर कर दी. जगदीश प्रसाद अपने गंभीर रूप से बीमार बेटे को जयपुर इलाज के लिए ले जा रहे थे, लेकिन रास्ता इतना मुश्किल होगा – यह उन्होंने सोचा भी नहीं था.
सब कुछ नावां उपजिला चिकित्सालय से शुरू हुआ, जहाँ डॉक्टरों ने बेटे की हालत नाजुक देखते हुए 108 एम्बुलेंस से तुरंत जयपुर रेफर किया. पिता जगदीश बेटे को लेकर निकले, लेकिन जोबनेर पहुँचते ही पहली एम्बुलेंस का डीजल खत्म हो गया. ड्राइवर ने तेल भरवाने से इनकार कर दिया और वहीं छोड़ दिया.
तभी जोबनेर से दूसरी एम्बुलेंस ली, लेकिन किस्मत ने फिर साथ नहीं दिया. कालवाड़ पहुँचते ही वो एम्बुलेंस भी खराब हो गई. हिम्मत नहीं हारी—पिता ने तीसरी एम्बुलेंस का इंतज़ाम किया और आखिरकार जयपुर के अस्पताल तक बेटे को पहुँचाया.
करीब तीन घंटे की इस तकलीफदेह यात्रा में हर मोड़ पर सरकारी व्यवस्था की लापरवाही सामने आती रही. गनीमत रही कि समय रहते अस्पताल मिल गया और बेटे की जान बच गई.
थक-हारकर जगदीश प्रसाद ने नावां एसडीएम जीतू कुल्हरी को लिखित शिकायत देकर सिस्टम की पोल खोली. एसडीएम ने भी बेटे की तबीयत की जानकारी ली और मामला उच्चाधिकारियों तक पहुँचाया.
यह कहानी सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल है—अगर ऐसे हालात में इलाज मिलेगा तो मरीज बीमारी से नहीं, व्यवस्था से मरेगा.