विदिशा के ग्राम पंचायत सीहोद के अंतर्गत आने वाले सीहोद चक गांव में गुरुवार को एक वृद्धा के अंतिम संस्कार के दौरान मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाला दृश्य सामने आया। 70 वर्षीय देवा बाई पत्नी ओमकार सिंह लोधी के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए गांव वालों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
श्मशान घाट तक नहीं बना पक्का रास्ता
गांव में श्मशान तक पक्का रास्ता न होने की वजह से शव यात्रा कीचड़ भरे रास्तों और गंदे पानी से होकर गुजरने को मजबूर हुई। बारिश से पूरी पगडंडी दलदल में तब्दील हो चुकी थी, जिससे लोगों के पैर बार-बार फंसते रहे।
टीन की चादर और लकड़ियों का लिया सहारा
अंतिम संस्कार की व्यवस्था के लिए ग्रामीणों ने लकड़ी की बल्लियों और टीन की चादरों का अस्थायी इंतजाम किया। बरसात के पानी में भीगते हुए उन्होंने किसी तरह शव को श्मशान घाट तक पहुंचाया। चादरों के नीचे बारिश से बचाव करते हुए अंतिम संस्कार संपन्न कराया गया।
गांव की बदहाली से व्यथित हुए ग्रामीण
इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों की बुनियादी समस्याओं की पोल खोल दी है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द श्मशान घाट तक पक्का रास्ता बनवाया जाए, ताकि भविष्य में किसी अन्य परिवार को इस तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े।