यूके में एक मां ने अपनी बच्ची को तीन साल तक छुपाकर बेड के नीचे एक सेल्फ में रखा था. बच्ची ने इतने दिनों तक न धूप देखी, न ही उसे कभी ताजी हवा मिली. तीन साल की बच्ची की हालत 7 महीने के छोटे बच्चे की तरह हो गई थी. अब महिला को जेल भेज दिया गया है.
चेस्टर क्राउन कोर्ट को जब पता चला कि कि एक बच्ची ने तीन साल तक ‘कभी दिन की रोशनी या ताजी हवा नहीं देखी थी’. जब तक कि वह अपने तीसरे जन्मदिन से कुछ हफ्ते पहले महिला के बॉयफ्रेंड को नहीं मिली. जब एक सुबह मां के जाने के बाद उसका साथी टॉयलेट जाने के लिए घर लौटा, तो बच्ची उसे घर के एक दराज में मिली.
बच्ची को सिरिंज से दिया जाता था दूध
बच्ची को सिरिंज के जरिए दूधिया और वीटाबिक्स खिलाया जाता था. वह इतनी गंभीर रूप से कुपोषित थी कि वह सात महीने की बच्ची जैसी दिखती थी. लंबे समय तक बिना भोजन के खुद को जिंदा रखने में बच्ची सक्षम हो गई थी. वह अपने नाम पर प्रतिक्रिया नहीं देती थी. उसके बाल उलझे हुए थे. उसमें और भी कई विकृतियां आ गई थी. उसके लिए उसकी मां ने कभी चिकित्सकीय सलाह नहीं ली और न ही उसकी देखभाल की.
तीन साल तक कभी दिन की रोशनी या ताजी हवा नहीं देखी
जब उसकी मां क्रिसमस पर रिश्तेदारों के साथ रहती थी, तो उसे अकेला छोड़ देती थी. उसे कभी जन्मदिन या क्रिसमस का तोहफा नहीं दिया गया था. मां ने बच्चे के साथ क्रूरता की बात स्वीकार की और उसे साढ़े सात साल की जेल हुई. चेस्टर जज स्टीवन एवरेट ने कहा कि ‘तुमने उस छोटी बच्ची को कभी प्यार नहीं किया, उचित आहार नहीं दिया, उसकी जरूरी देखभाल नहीं की, चिकित्सक से कभी नहीं दिखाया. अब संयोग से तुम्हारा भयानक रहस्य उजागर हो गया है.
बच्ची बन गई थी जिंदा लाश
इतने दिनों तक एक सेल्फ में बंद रहने के कारण बच्ची शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक रूप से काफी बुरी हालत में पहुंच गई थी. जज ने कहा कि बच्ची एक ‘बुद्धिमान छोटी बच्ची थी. अब वह शायद धीरे-धीरे उस छोटे से सेल्फ में रहते हुए लगभग जिंदा लाश की तरह बन गई थी.
डेली मेल की रिपोर्ट में मां का नाम उजागर नहीं किया गया, ताकि उसके बच्ची की पहचान को गुप्त रखा जा सके. महिला ने अपनी बच्ची को अपने बेड के नीचे बने एक गुप्त सेल्फ में छिपाकर रखा था. ऐसा उसने अपने बॉयफ्रेंड से उसे छिपाए रखने के लिए किया, जो अक्सर घर पर रहता था.
2020 से 2023 तक एक छोटे से दराज में बंद रही बच्ची
मां ने ये अपराध 2020 की शुरुआत से लेकर 2023 तक किया था. जब तक कि महिला के पार्टनर ने बच्ची के रोने की आवाज़ सुनकर उसे खोज नहीं लिया. उसे बेडरूम में एक दराज में रखा गया था. अदालत को बताया कि जब बच्चे को पहली बार अस्पताल ले जाया गया था, तब उसकी विकासात्मक उम्र शून्य से 10 महीने थी और वह काफी कुपोषित थी.
बच्ची को छोटे से जगह में बंद कर काम पर चली जाती थी मां
बच्ची की मां जब अपने अन्य बच्चों को स्कूल ले जाती थी, काम पर जाती थी और जब वह क्रिसमस पर रिश्तेदारों के साथ रहती थी. तब उसे बंद दराज में अकेला छोड़ देती थी. अदालत को बताया गया कि जब महिला का ब्वॉयफ्रेंड रात भर घर पर रहने लगा तो बच्ची को दूसरे कमरे में ले जाकर छिपा दिया गया और वहीं अकेला छोड़ दिया गया.
एक सुबह महिला का बॉयफ्रेंड घर में टॉयलेट करने लौटा तो उसने एक बच्ची के रोने की आवाज सुनी और एक बेडरूम में घुस गया. वहां उसने बच्ची को देखा. इसके बाद उसने परिवार के अन्य सदस्यों को सूचित किया और बाद में उसी दिन सोशल सर्विस के लोग आकर बच्ची को सेल्फ से निकालकर ले गए.
अदालत में रो पड़े दो पुलिसवाले
मामले की जांच में शामिल दो पुलिस अधिकारी रो पड़े, जब बच्ची की देखभाल करने वाले सोशल सर्विस के लोगों का अदालत में बयान पढ़ा गया. समाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि उसने जब बच्ची को दराज में बैठे देखा और मां से पूछा कि क्या वह अपनी बेटी को यहीं रखती है. मां ने जवाब दिया हां, वह उसे दराज में ही पिछले तीन साल से रख रही है.
किसी और के साथ प्रेम संबंध में हो गई थी प्रेग्नेंट
महिला ने पुलिस को बताया कि उसे नहीं पता था कि वह गर्भवती है. वह अनजाने में गर्भवती हो गई थी और जब उसने बच्चे को जन्म दिया तो वह ‘बहुत डरी हुई’ थी. बाद में उसने अधिकारियों को बताया कि ‘बच्चा परिवार का हिस्सा नहीं था’. उसने कहा कि बच्ची को हर समय बिस्तर के नीचे दराज में नहीं रखा जाता था और कहा कि दराज कभी बंद नहीं होता था.
बच्ची के पिता को उसका पता न चले, इसलिए ऐसा किया
उसने सामाजिक कार्यकर्ताओं को बताया कि बच्ची के पिता के साथ उसका कभी प्रेम संबंध था और वह नहीं चाहती थी कि उसके पिता को उसके बारे में पता चले. महिला के मानसिक स्वास्थ्य, बच्चे के पिता के साथ अस्थिर संबंध और कोविड लॉकडाउन सहित ‘असाधारण परिस्थितियों’ का भी बच्ची को सामना करना पड़ा था. महिला ने अपने आंसू पोछते हुए बताया कि कैसे उसके अन्य बच्चे, जिनकी उसने अच्छी तरह से देखभाल की थी, अब उसके साथ नहीं रहते हैं.