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वैश्विक एजेंडा कुछ लोगों के हितों तक सीमित नहीं’ – G20 बैठक में जयशंकर का चीन पर तंज..

जयशंकर की यह टिप्पणी चीन द्वारा पाकिस्तान के बहुराष्ट्रीय अमन-2025 नौसैनिक अभ्यास में भाग लेने के कुछ दिनों बाद आई है , जिसमें इंडोनेशिया, इटली, जापान, मलेशिया, अमेरिका और 32 अन्य देशों के पर्यवेक्षकों ने भी भाग लिया था. इस नौसैनिक अभ्यास में चीन की भागीदारी हिंद महासागर में उसके नौसैनिक विस्तार से जुड़ी हुई है. बीजिंग ने कहा कि उसका ध्यान समुद्री डकैती विरोधी और समुद्री सुरक्षा, प्रमुख समुद्री मार्गों और विदेशी हितों की रक्षा पर है.

समुद्री सुरक्षा का किया जिक्र

भारत चीन की “स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स” रणनीति से सावधान है, जिसमें पूरे क्षेत्र में सैन्य अड्डे और गठबंधन बनाना शामिल है. पिछले महीने, चीन ने कथित तौर पर हिंद महासागर में दो शोध पोत भेजे थे जिससे नई दिल्ली की चिंताएं और बढ़ गई हैं. एस जयशंकर ने समुद्री सुरक्षा को बनाए रखने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर भी प्रकाश डाला, खास तौर पर अरब सागर और अदन की खाड़ी में, जहां भारतीय नौसेना अहम भूमिका निभाती है. उन्होंने सामान्य समुद्री व्यापार को बहाल करने की आवश्यकता पर बल दिया, जो भू-राजनीतिक तनावों के कारण बाधित हुआ है.

उन्होंने कहा, “इस क्षेत्र में और इसके आसपास समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना भी आवश्यक है. भारतीय नौसेना बलों ने अरब सागर और अदन की खाड़ी में इसमें योगदान दिया है. सामान्य समुद्री वाणिज्य को बहाल करना प्राथमिकता बनी हुई है.” चर्चा के दौरान, विदेश मंत्री ने वैश्विक और क्षेत्रीय हितों के अन्य मुद्दों का भी जिक्र किया गया है, जिसमें गाजा युद्ध की समाप्ति, बंधकों की अदला-बदली और रूस-यूक्रेन युद्ध में हाल की घटनाएं शामिल हैं.

जयशंकर ने कहा, “मतभेदों को विवाद नहीं बनना चाहिए, विवादों को संघर्ष नहीं बनना चाहिए और संघर्षों को बड़े विघटन का कारण नहीं बनना चाहिए. पिछले कुछ वर्षों से हम सभी को चिंतन करने के लिए सबक मिले हैं. लेकिन साथ ही, यह एक ऐसा अनुभव भी है जिसका लाभ हमें उठाना चाहिए क्योंकि हम दुनिया को बेहतरी की तरफ ले जाना चाहते हैं.

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