प्रयागराज में लगे महाकुंभ में 27 जनवरी को होने वाले धर्म संसद से ठीक तीन दिन पहले आज शुक्रवार को विश्व हिंदू परिषद की अहम बैठक हुई. इस बैठक में हिंदुओं से जुड़े कई मुद्दों और हिंदू धर्म के सामने चुनौतियों पर चर्चा हुई. देश में हिंदुओं की घटना जनसंख्या, काशी और मथुरा के मुद्दे पर भी बातचीत हुई. बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने, वक्फ बोर्ड की ओर से किए जा रहे तरह-तरह के दावों पर भी बातचीत हुई और रणनीति बनी
बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए वीएचपी नेता ने कहा कि हिंदू धर्म के सामने अनेक चुनौतियां हैं, उसको ध्यान में रखते हुए वीएचपी सामने आई है. राज्य सरकार लंबे समय तक मठ-मंदिरों को नहीं रख सकती है. हम एक आंदोलन करेंगे की मठ मंदिर हमें मिले. मंदिर का पैसा सरकार ले रही है. वो पैसा मंदिरों के काम आना चाहिए. ऋषि मुनियों के देश में लिव इन रिलेशनशिप हो रहा है उसपर भी रूपरेखा तैयार की है.
हिंदू परिवारों का संतुलन बिगड़ रहा है, बोला वीएचपी
वीएचपी ने कहा कि देश में जनसंख्या घट रही है क्योंकि हिंदू परिवारों में जनसंख्या का संतुलन बिगड़ रहा है. महापुरुष जन जागरण के लिए कार्य करेंगे. बांग्लादेश में हिंदू पर अत्याचार हुए है, हिंदू बेटियों के साथ अत्याचार हुए है, आज पूरा संस्कार चुप है. हमारे हिंदुओं के समर्थन में कोई नहीं आया. विश्व हिंदू इस बात को लेकर सजक हुआ है.
वीएचपी नेताओं ने कहा कि काशी और मथुरा के मामले पर हम आज भी उसी सोच पर है जो पहले थी. सुप्रीम कोर्ट से जल्दी समाधान की मांग करते है. इसके अलावा जहां पर खुदाई हुई है, वहां हिंदू धर्म से जुड़े अवशेष मिले हैं. ऐसे में वो जगह हमें मिलनी चाहिए. वक्फ बोर्ड का कोई अस्तित्व ही नहीं है, लगभग पांच लाख इमामों के मुख्य का बयान आया है कि वक्फ बोर्ड सिर्फ जमीन हथियाने के लिए है. हम कहना चाहते हैं कि खुदाई करके देखो सब जगह मंदिर निकलेंगे. भारत में दो प्रकार के लोग रहते है एक हिंदू है और दूसरे जिनके पूर्वज हिंदू थे.
सनातन बोर्ड पर क्या बोले वीएचपी महामंत्री?
वहीं, वीएचपी महामंत्री बजरंग लाल बांगड़ा ने कहा कि सनातन बोर्ड का स्वरूप क्या होगा, कैसा होगा, कौन उसको बनाएगा, कौन उसमे होगा, यहबात अभी नहीं पता है. हमने भी अखबारों में खबर देखी है. हमारे सामने कोई स्वरूप आएगा तो उसपर फिर चर्चा होगी.
दरअसल, वीएचपी का मत है कि मंदिरों को सरकारी बंधनों से मुक्ति जरूरी है, लेकिन किसी बोर्ड के जरिए नहीं बल्कि मंदिरों को अपने ट्रंस्ट के जरिए संचालित होना चाहिए. देशभर में सनातन धर्म के अंदर आने वाले विभिन्न पंथ और संप्रदायों के मंदिरों की देखरेख उसी संप्रदाय या मतावलंबी करें. मंदिरों के ट्रस्ट में उसी मतावलंबियों को रखना चाहिए. इसमें पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी रखा जाए. दलित वर्ग के रिप्रेजेंटेटिव को भी स्थान दिया जाए और मंदिरों के आय व्यय के लिए एक पारदर्शी व्यवस्था होनी चाहिए