सुपौल: पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ-साथ विद्यालय परिसर को हरा-भरा रखने के उद्देश्य से शुरू की गई योजना एक पेड़ मां के नाम 2.0 जिले में विभागीय उदासीनता व विद्यालय प्रधानों के लापरवाही का शिकार बनकर रह गई है. स्थिति है कि विभाग ने योजना के तहत जिले के जिन 2210 सरकारी व प्रस्वीकृत निजी विद्यालयों को 154700 पौधे लगाने का लक्ष्य दिया था इनमें से तीन माह बीतने के बाद महज 57343 पौधे ही लगाये जा सके हैं, जो लक्ष्य का महज 37 फीसद है.
हालांकि इस मामले में जिले का स्थान सूबे में आठवां है. लक्ष्य के अनुरूप अब भी 97357 पौधे लगाने शेष है. सबसे विडंबना है कि विभाग के बार-बार निर्देश के बाद भी अब तक 516 विद्यालयों ने इसकी शुरुआत भी नहीं की है. ऐसे में जिले का ग्राफ न सिर्फ नीचे दिख रहा है बल्कि हरियाली को जो गति मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिल पा रही है. इधर विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 15 सितंबर तक प्रति विद्यालय 70 या विद्यालय में नामांकित बच्चों के अनुरूप पौधे लगाते फोटो अपलोड करने को कहा है. ऐसा नहीं करने वाले प्रधानों के विरुद्ध कार्रवाई करने का भी संकेत दिए गए हैं.
दरअसल हरियाली का दायरा बढ़ाने के उद्देश्य से विभाग ने जिले के हर एक विद्यालयों में बच्चों द्वारा अपनी मां के नाम पर स्कूल परिसर में एक-एक पौधा लगाने का निर्देश दिया था. कहा गया था कि प्रत्येक विद्यालय को कम से कम 70 या फिर बच्चों के नामांकन के अनुरूप पौधे लगाने हैं. जिले में स्कूल परिसर में जगह के हिसाब से 154700 पौधे लगाने का लक्ष्य अख्तियार किया गया. जून माह से पौधा लगाने की शुरुआत हुई थी लेकिन तीन माह में लक्ष्य के 50 फीसद पौधे भी नहीं लगाये जा सके हैं, जो विभागीय उदासीनता व योजना के प्रति विद्यालय प्रधानों की लापरवाही को उजागर करता है. योजना में कागजी खानापूर्ति ना हो इसके लिए पौधा लगाते बच्चों का फोटो व वीडियो अपलोड करने का निर्देश दिया गया था. जिले में अब तक जो 57343 पौधे लगाए गए हैं उसमें सबसे अधिक 13197 पौधे त्रिवेणीगंज प्रखंड के शामिल है.
इस मामले में सबसे खराब स्थिति जिले के किशनपुर प्रखंड की है. यहां सबसे कम 2343 पौधे ही अब तक लगाए जा सके हैं. जबकि सुपौल प्रखंड इस मामले में दूसरे स्थान पर हैं. इस प्रखंड में 7237 पौधे लगाये गये हैं. योजना को लेकर इधर जब विभागीय स्तर पर समीक्षा की गई तो समीक्षा उपरांत जिला शिक्षा पदाधिकारी संग्राम सिंह ने स्थिति को निराशाजनक बताते हुए सभी विद्यालयों को 15 सितंबर तक लक्ष्य को पूरा करने को कहा है. कहा है कि ऐसा नहीं करने वाले विद्यालय प्रधान के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित है.