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ई-कॉमर्स कंपनियों पर सरकार ने कसा शिकंजा, कैश ऑन डिलीवरी पर वसूला ज्यादा चार्ज, शोषण का आरोप

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स द्वारा कैश ऑन डिलीवरी (COD) ऑर्डर पर अतिरिक्त शुल्क वसूलने की शिकायतों पर संज्ञान लिया है. विभाग ने इस प्रथा को डार्क पैटर्न करार देते हुए कहा कि यह उपभोक्ताओं को गुमराह करने और उनका शोषण करने का प्रयास है. उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी है.

मिली शिकायतों के अनुसार, कई उपभोक्ताओं ने यह आरोप लगाया है कि ऑनलाइन शॉपिंग करते समय यदि वे कैश-ऑन-डिलीवरी विकल्प चुनते हैं तो कंपनियां उनसे अलग से अतिरिक्त रकम वसूल रही हैं. विभाग ने इसे उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए व्यापक जांच शुरू कर दी है. मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स को शिकायतें मिली हैं कि ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म्स कैश ऑन डिलीवरी पर ज्यादा चार्ज ले रहे हैं. यह उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाला डार्क पैटर्न है. विस्तृत जांच शुरू की गई है और नियम तोड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी.

दोषी पाए जाने पर होगी कड़ी कार्रवाई

सूत्रों के मुताबिक, संबंधित ई-कॉमर्स कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा और अगर दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. विभाग का कहना है कि भारत के तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स क्षेत्र में पारदर्शिता और निष्पक्ष व्यवहार बनाए रखना अनिवार्य है. विशेषज्ञों का मानना है कि ऑनलाइन बाजार में ग्राहकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इस तरह की शिकायतों से उपभोक्ता भरोसे को प्रभावित कर सकती हैं.

जवाबदेही होगी तय

वहीं सरकार ने संकेत दिया है कि उपभोक्ताओं का शोषण करने वाले किसी भी ई-प्लेटफॉर्म को बख्शा नहीं जाएगा. उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस कदम का स्वागत किया है और कहा है कि यह ई-कॉमर्स क्षेत्र को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.

फ्लिपकार्ट का आया जवाब

वहीं इस मामले में फ्लिपकार्ट की तरफ से जवाब आया है. फ्लिपकार्ट के चीफ कॉरपोरेट अफेयर्स ऑफिसर रजनीश कुमार ने कहा कि कंपनी हर उपभोक्ता के साथ पारदर्शिता और भरोसे पर खरे उतरने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हाल ही में किए गए सेल्फ-ऑडिट से यह साफ होता है कि हम जिम्मेदार डिजिटल मार्केट प्लेस की भूमिका निभा रहे हैं.

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