मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में मंगलवार को प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुनवाई हुई। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि जब पुरानी प्रमोशन पॉलिसी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और उस पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश भी हैं, तो फिर नई पॉलिसी क्यों लागू की जा रही है। अदालत ने सरकार से स्पष्ट किया कि पहले से रद्द किए गए प्रमोशनों पर नई नीति कैसे लागू होगी और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसका क्या असर पड़ेगा।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि सरकार अपने सामान्य प्रशासन विभाग के जरिए स्पष्टीकरण जारी करेगी। हालांकि कोर्ट ने सरकार की इस मांग को ठुकरा दिया कि नई पॉलिसी के तहत प्रमोशन शुरू करने की अनुमति दी जाए। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि सरकार का जवाब आने के बाद ही इस मामले पर आगे विचार होगा। अब अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2016 में राज्य सरकार की पुरानी प्रमोशन पॉलिसी को असंवैधानिक ठहराते हुए रद्द कर दिया था। इसके खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया गया। लंबे समय तक प्रमोशन रुके रहने के बाद सरकार ने इसी साल 2025 में नई प्रमोशन पॉलिसी लागू की, लेकिन इसे कई याचिकाकर्ताओं ने अदालत में चुनौती दी।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुरानी नीति पर फैसला लंबित रहते हुए नई नीति नहीं ला सकती। इस कदम को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना बताया गया। कोर्ट में पेश अधिवक्ताओं का कहना था कि सरकार संवैधानिक सवालों पर बहस किए बिना ही नई पॉलिसी लागू करने की कोशिश कर रही है।
हाईकोर्ट ने साफ किया कि सरकार पहले यह स्पष्ट करे कि यदि सुप्रीम कोर्ट पुरानी नीति पर फैसला सुनाता है तो नई पॉलिसी के तहत दिए गए प्रमोशनों का क्या होगा। इस बीच सरकार ने मौखिक रूप से आश्वासन दिया कि जब तक नियमों पर स्पष्टता नहीं हो जाती, तब तक प्रमोशन रोके रहेंगे।
अब मामला पूरी तरह राज्य सरकार के स्पष्टीकरण पर टिका है। अदालत की ओर से यह संकेत मिल चुका है कि बिना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की स्थिति स्पष्ट हुए नई पॉलिसी लागू नहीं की जा सकेगी।