बिहार में महागठबंधन की आस अधूरी, अब थर्ड फ्रंट बनाने की तैयारी में ओवैसी

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार की सियासत गरमाई हुई है. बिहार में मुख्यतः कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के गठबंधन इंडिया ब्लॉक और राज्य में सत्तारूढ़ नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए के बीच मुकाबला माना जा रहा है. दोनों की गठबंधन चुनाव से पहले अपनी पूरी ताकत लगा रहा है. तेजस्वी यादव लगातार नीतीश कुमार सरकार पर हमला बोल रहे हैं, तो लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी इस साल पांच बार बिहार दौरे पर जा चुके हैं. भाजपा सरकार पर हमला करने के साथ-साथ दलित, मुस्लिम और पिछड़ों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इन गठबंधन में शामिल पार्टियों के अतिरिक्त कई ऐसी पार्टियां हैं, जो अपनी बिसात बिछा रही हैं और ये गठबंधन का खेल बिगाड़ सकते हैं.

सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने पिछले चुनाव में बिहार चुनाव में धमाकेदार एंट्री की थी और उसके पांच विधायक जीते थे, हालांकि चार विधायक बाद में राजद में शामिल हो गये.

इस बार भी एआईएमआईएम चुनाव में उतरने की पूरी तैयारी कर ली है. इस बाबत बिहार एआईएमआईएम अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने इंडिया ब्लॉक को एनडीए के खिलाफ साथ मिलकर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था.

थर्ड फ्रंट बनाने की तैयारी में ओवैसी की पार्टी

टीवी9 हिंदी से बात करते हुए अख्तरुल ईमान ने कहा, “हमने एनडीए और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ संयुक्त मोर्चे के तहत विधानसभा चुनाव लड़ने के प्रस्ताव के साथ महागठबंधन के घटकों से संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है.

उन्होंने कहा कि वे लोग बिहार चुनाव को लेकर पूरी तैयारी कर रहे हैं. उनकी पार्टी 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ सकती है और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और महागठबंधन, दोनों को उनकी योग्यता के आधार पर चुनौती दे सकती है. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही लोगों को एक बेहतर विकल्प देने के लिए तीसरा मोर्चा बनाने की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं और उन्होंने आगे कहा, “हम कई क्षेत्रीय दलों के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि लोगों को एक विकल्प दे सकें.”

यह कदम महागठबंधन द्वारा जनता दल (यूनाइटेड) के नेतृत्व वाली मौजूदा एनडीए सरकार को हटाने के लिए संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने के एआईएमआईएम के प्रस्ताव में कम रुचि दिखाने के बाद उठाया गया है.

सीमांचल इलाकों में एआईएमआईएम की मजबूत पकड़

अख्तरुल ईमान ने कहा कि इस महीने में पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी बिहार दौरे पर आने वाले हैं, जो भी फैसला लिया जाएगा. उनके साथ विचार-विमर्श के साथ लिया जाएगा और अंतिम फैसला वही लेंगे. सीमांचल में ‘जूनियर ओवैसी’ कहे जाने वाले ईमान बिहार में, खासकर इस क्षेत्र में, एक जन नेता रहे हैं.

इमाम ने कहा, “सीमांचल में हमारा एक मजबूत आधार है, न सिर्फ मुसलमानों के बीच, बल्कि हिंदुओं के बीच भी, क्योंकि हम सीमांचल के समग्र विकास के लिए संघर्ष कर रहे हैं.”

इससे पहले, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव लड़ने के संबंध में कोई भी निर्णय लेने के लिए इमाम को बिहार में सही व्यक्ति बताया था. यह पूछे जाने पर क्या वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी के साथ क्या उनकी बातचीत हुई है. उन्होंने कहा कि उन्होंने सहनी का बयान सुना है, लेकिन इस बाबत उनसे फिलहाल कोई बातचीत नहीं हुई है.

100 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी

उन्होंने कहा कि राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है और इन सीटों पर उनकी पकड़ है, हालांकि थर्ड फ्रंट बनने की स्थिति में सीटों की संख्या आपसी सहमति से ही तय होगी.

2020 के विधानसभा चुनावों में, एआईएमआईएम ने जिन 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से पांच सीटें जीतीं – ये सभी सीमांचल क्षेत्र में हैं, जहां मुसलमानों की आबादी ज्यादा है. हालाँकि, दो साल बाद 2022 में, इसके चार विधायक पाला बदलकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में शामिल हो गए, जिससे विधानसभा में इसकी संख्या घटकर सिर्फ एक रह गई.

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