दमोह : जिले के मिशन अस्पताल में 3 दिन जांच कर लौटी टीम राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम ने मिशन अस्पताल में फर्जी कॉडियोलॉजिस्ट डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम द्वारा इलाज के दौरान 7 लोगों की मौत के मामले में लापरवाही के लिए जिला प्रशासन के अफसरों को जिम्मेदार माना है. तीन दिन तक दमोह में मामले की जांच करके दिल्ली लौटी आयोग की टीम की प्राथमिक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है.
आयोग इस को लेकर नाराज है कि जब 20 फरवरी को शिकायत हुई तो 6 अप्रैल को ऑनन-फानन में एफआईआर क्यों कराई गई इधर सीएमएचओ कार्यालय ने मिशन अस्पताल की डायलिसिस यूनिट का लाइसेंस निरस्त कर दिया है राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने बताया कि अभी उन्हें प्राथमिक रिपोर्ट मिली है जिसमें मिशन अस्पताल की गंभीर लापरवाही मिली है और जिला प्रशासन नीयत साफ नहीं दिखी.
अस्पताल में मरे लोगों के लिए अफसर ही जिम्मेदार हैं. उन्हें इस अस्पताल को बंद कर देना चाहिए था. उधर, दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने कहा, अभी रिपोर्ट नहीं
अस्पताल में मरे लोगों के लिए अफसर ही जिम्मेदार हैं. उन्हें इस अस्पताल को बंद कर देना चाहिए था. उधर, दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने कहा, अभी रिपोर्ट नहीं मिली है. कुछ भी बोलना जल्दबाजी होगी.
सूटकेस में मिली अनेक सीलें फर्जी डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम को 7 अप्रैल को पुलिस प्रयागराज के ओमेक्स आनंदा अपार्टमेंट के 511 नंबर फ्लैट से पकड़कर लाई थी. एक टीम दोबारा प्रयागराज आरोपी के फ्लैट पर भेजी गई. यहां एक सूटकेस में नकली दस्तावेज मिले। इनमें अनेक सीलें हैं और फर्जी दस्तावेज भी. आधार कॉर्ड, पासपोर्ट भी शामिल हैं.