अहमदाबाद का नरेंद्र मोदी स्टेडियम, जो अपनी विशाल क्षमता और आधुनिक सुविधाओं के लिए जाना जाता है, अचानक सुर्खियों में है… लेकिन इस बार खेल की वजह से नहीं, बल्कि खाली स्टैंड्स की वजह से. भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेले जा रहे पहले टेस्ट के शुरुआती दिन (गुरुवार को) सीटें खाली देख फैन्स और विशेषज्ञ हैरान रह गए. एशिया कप की समाप्ति के ठीक बाद ही इस टेस्ट सीरीज का आगाज हो गया, और वह भी दशहरे के दिन से. ऐसे में यह क्रिकेट का ओवरडोज नहीं तो और क्या..?
मैच में वेस्टइंडीज की शुरुआत बेहद कमजोर रही. टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी टीम सिर्फ 162 रनों पर ढेर हो गई. भारत की ओर से मोहम्मद सिराज ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 4 विकेट चटकाए, जबकि जसप्रीत बुमराह ने 3, कुलदीप यादव ने 2 और वॉशिंगटन सुंदर ने एक विकेट हासिल किया. भारतीय गेंदबाजों के जोरदार प्रदर्शन के बावजूद खाली स्टैंड्स की तस्वीर ने इस टेस्ट की चमक को कम कर दिया.
क्रिकेट फैन्स ने सोशल मीडिया पर अपने गुस्से और निराशा का इजहार किया. कई लोगों का कहना है कि छोटे स्तर की टीम के खिलाफ इतना बड़ा स्टेडियम इस्तेमाल करना अनुचित है. एक फैन ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा- ‘अगर हमें लोअर टियर टीम के खिलाफ खेलना था, तो टेस्ट क्रिकेट देखने के लिए लोकप्रिय और दर्शकों से भरे स्टेडियम का चयन होना चाहिए था. अहमदाबाद बड़ी दर्शक क्षमता वाला स्टेडियम है, लेकिन टेस्ट मैच के लिए यह जगह उपयुक्त नहीं है. इसे केवल T20 या बड़े लीग मुकाबलों के लिए ही रखना चाहिए.’
इस मुद्दे पर पूर्व कप्तान विराट कोहली ने भी पहले ही राय रखी थी. उन्होंने 2019 में कहा था कि भारत में केवल 5 फिक्स टेस्ट सेंटर होने चाहिए, ताकि दौरा करने वाली टीम को यह पता हो कि वे कहां खेलेंगे, किस तरह की पिच और दर्शक मिलेंगे. उनके अनुसार, राज्य संघों की रोटेशन पॉलिसी और अन्य कारणों से कई वेन्यू में टेस्ट आयोजित करना ठीक है, लेकिन स्थिर और आकर्षक स्थानों पर खेलना ज्यादा प्रभावशाली होगा.
21वीं सदी में BCCI ने अब तक 18 अलग-अलग स्टेडियम में टेस्ट मैच आयोजित किए हैं. वहीं, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने केवल 9 और 10 स्टेडियम तक अपने टेस्ट मैचों को सीमित रखा है. विशेषज्ञों का मानना है कि टेस्ट क्रिकेट की गरिमा और दर्शकों की उपस्थिति बनाए रखने के लिए भारत को भी कुछ निश्चित टेस्ट सेंटर बनाने चाहिए.