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जिस ड्रोन ने ओसामा बिन लादेन को खोज निकाला, उसे खरीदने जा रही है भारत सरकार

भारत सरकार ने रक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन खरीदने जा रही है. इस ड्रोन के भारतीय सेना में शामिल होने पर सेना की मारक क्षमता में वृद्धि होगी. मंगलवार को दोनों देशों ने इससे संबंधित डील पर हस्ताक्षर किए. पिछले हफ्ते हीसुरक्षा पर कैबिनेट समिति सीसीएस ने इसकी मंजूरी दी थी.

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प्रीडेटर ड्रोन बेहद ताकतवर है. इसका इस्तेमाल मुख्यत निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और हमले में होता है. प्रीडेटर ड्रोन से भारत की तीनों सेनाओं की निगरानी क्षमता बढ़ेगी. रिपोर्ट्स के अनुसार, डील की कुल लागत लगभग 32,000 करोड़ रुपये है.

प्रीडेटर ड्रोन की खासियत

प्रीडेटर ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत है कि यह बिना आवाज किए काम कर सकता है और 250 मीटर की ऊंचाई पर उड़ सकता है, जिससे टारगेट को इसकी भनक नहीं लगती. यह 50,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर उड़ सकता है और इसकी अधिकतम रफ्तार 442 किमी/घंटा है.

यह ड्रोन सीमा की निगरानी, जासूसी और हमले के लिए उपयोगी है, और इसे हवा से हवा तथा हवा से जमीन पर मार करने वाले मिसाइलों से लैस किया जा सकता है. MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन 4 मिसाइलों और लगभग 450 किलोग्राम के बम सहित 1,700 किलोग्राम वजन लेकर उड़ान भर सकता है, और इसकी रेंज 3,218 किलोमीटर है. यह लगातार 35 घंटे तक उड़ सकता है.

तैनाती की योजना

रक्षा अधिकारियों के अनुसार, सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने पिछले सप्ताह खरीद को मंजूरी दी. 31 ड्रोनों में से 15 भारतीय नौसेना को आवंटित किए जाएंगे, जबकि शेष ड्रोन वायु सेना और सेना के बीच समान रूप से विभाजित किए जाएंगे. रिपोर्ट्स के अनुसार, सेना और वायु सेना को 15-15 ड्रोन दिए जाएंगे.

भारत चार संभावित स्थानों पर ड्रोन तैनात करेगा, जिनमें चेन्नई के पास आईएनएस राजाली, गुजरात में पोरबंदर, उत्तर प्रदेश में सरसावा और गोरखपुर शामिल हैं। भारतीय सेना वैज्ञानिक अध्ययन के बाद सेनाओं द्वारा तय की गई संख्या के साथ इनकी तैनाती करेगी.

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