ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के लिए लाल कालीन बिछ चुका है। प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर से बाहर आयोजित होने वाली दूसरी समिट में निवेश प्रस्ताव का आंकड़ा करीब 20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। 18 साल पहले प्रदेश में हुई पहली समिट में घोषित निवेश का आंकड़ा सिर्फ एक लाख 20 हजार करोड़ रुपये का था।
2023 में आयोजित हुई सातवीं समिट में सबसे ज्यादा 15 लाख 42 हजार 514 करोड़ के निवेश प्रस्तावों का ऐलान हुआ। अगले सप्ताह भोपाल में हो रही समिट में यह आंकड़ा पीछे छूटना तय माना जा रहा है क्योंकि बीते इंवेस्टर्स समिट के मुकाबले करीब 25 प्रतिशत निवेश प्रस्ताव तो आयोजन शुरू होने के पहले ही प्रदेश की मुट्ठी में आ चुके हैं।
देश-विदेश में हो चुके 14 आयोजन
मोहन सरकार के दो वर्षों में इंवेस्टर्स समिट के प्रमुख आयोजन के पहले ही उद्योगों से जुड़े 14 आयोजन प्रदेश-देश और विदेश में हो चुके हैं। उज्जैन, ग्वालियर, सागर, रीवा, नर्मदापुरम और शहडोल की रीजन इंडस्ट्री कान्क्लेव के साथ मुंबई, कोयंबटूर, बेंगलुरु और कोलकाता व जर्मनी, ब्रिटेन और जापान में रोड शो के जरिए 3.90 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव पहले से पाइपलाइन में हैं।
उद्योगों को लाने के लिए बड़ा किया कैनवास
यह आंकड़ा ही बीती समिट के मुकाबले करीब 25 प्रतिशत हो जाता है। ऐसे में चौथाई सफर मुख्य आयोजन से पहले ही तय हो चुका है। प्रदेश ने इस बार उद्योगों को लाने के लिए कैनवास भी बड़ा किया है और इंदौर-उज्जैन-भोपाल से आगे अलग-अलग जिलों तक उद्योगों को ले जाने की कोशिश हो रही है। इस विस्तार का लाभ भी निवेश प्रस्ताव के आंकड़ों में दिखने की पूरी उम्मीद है।
कांग्रेस सरकार में सिकुड़ा था आंकड़ा
बीते सभी ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट पर नजर डाली जाए तो कांग्रेस की कमल नाथ सरकार के दौरान 2019 में हुई समिट में निवेश का आंकड़ा सिकुड़कर 74 हजार करोड़ रुपये पर टिक गया था। हालांकि तब सरकार ने इसे निवेश प्रस्ताव नहीं, करार बताया था। इससे पहले 2007 की पहली समिट से लेकर 2016 की पांचवीं और 2023 की अंतिम सातवीं समिट तक निवेश प्रस्ताव का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही दिखा है।
उम्मीद आईटी और खाद्य प्रसंस्करण से
2023 में हुई समिट में सबसे ज्यादा करीब छह लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) सेक्टर से मिले थे। खाद्य प्रसंस्करण व आईटी सेक्टर तीसरे व चौथे नंबर पर था।
आईटी क्षेत्र के जानकार अब कह रहे हैं कि इस साल की समिट में खाद्य प्रसंस्करण तो आगे रहेगा ही क्योंकि मप्र अब भी कृषि आधारित राज्य है। लेकिन आईटी सेक्टर में निवेश हिस्सेदारी में भी उछाल आ सकता है।
इसका विशेष कारण है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर जोर और मप्र में उद्योगों की स्थापना व परिचालन पर होने वाला कम खर्च। साथ ही डालर व रुपये के बीच बढ़ते अंतर से भी आईटी सेक्टर को लाभ मिलता दिख रहा है।
ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट 2023 में घोषित निवेश व सेक्टर
- नवीकरणीय ऊर्जा 6,09,478 करोड़ रुपये
- नगरीय आधारभूत संरचना 2,80,753 करोड़ रुपये
- खाद्य और कृषि प्रसंस्करण 1,06,149 करोड़
- आईटी व एलाइड सेक्टर 78,778 करोड़
- रसायन व पेट्रोलियम 76,769 करोड़
- सेवा क्षेत्र 71,351 करोड़
- ऑटोमोबाइल ईवी 42,254 करोड़
- औषधि और स्वास्थ्य सेवा 17,991 करोड़
- लाजिस्टिक वेयर हाउसिंग 17,916
- टेक्सटाइल रेडिमेड गारमेंट 16,914 करोड़
- अन्य सेक्टर 1,25,855 करोड़
बीती ग्लोबल इंवेस्टर समिट में आए निवेश प्रस्ताव
- 2007- 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये
- 2010- 2 लाख 35 हजार करोड़ रुपये
- 2012- 3 लाख 50 हजार करोड़ रुपये
- 2014- 4 लाख 35 हजार करोड़ रुपये
- 2016- 5 लाख 63 हजार करोड़ रुपये
- 2019- 74 हजार करोड़ रुपये
- 2023- 15 लाख 42 हजार 514 करोड़ रुपये