भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन ब्लास्ट मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. इस विस्फोट की घटना मार्च 2017 में मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के पास हुई थी, जिसमें कई यात्री घायल हो गए थे. मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपी गई थी, जिसने जांच के दौरान कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया था. इनमें से एक आरोपी कथित रुप से नाबालिग बताया गया था, जिसे लेकर कानूनी बहस छिड़ गई थी. उसके खिलाफ सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड में होनी चाहिए या NIA की विशेष अदालत में.
अब इस मुद्दे पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक बड़ा और अहम फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट की एकलपीठ, जिसमें जस्टिस संजय द्विवेदी शामिल थे, ने स्पष्ट किया कि आरोपी को भले ही अब वयस्क की तरह ट्रीट किया जाएगा, लेकिन उसकी सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड (Juvenile Court) में ही जारी रहेगी. अदालत ने कहा कि इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और एनआईए एक्ट 2008 दोनों ही लागू होते हैं, लेकिन जब दोनों में टकराव की स्थिति हो तो जुवेनाइल जस्टिस एक्ट को प्राथमिकता दी जाएगी. क्योंकि यह विशेष कानून है और बच्चों की रक्षा के लिए बनाया गया है.
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जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत होगी सुनवाई
यह फैसला भोपाल की जिला अदालत द्वारा हाई कोर्ट में रेफरेंस भेजे जाने के बाद आया. जिला अदालत ने यह जानना चाहा था कि आरोपी की सुनवाई किस अदालत में की जानी चाहिए. हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपी की मानसिक और शारीरिक स्थिति को देखते हुए, और कानून के दायरे में रहते हुए, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत सुनवाई उपयुक्त होगी. भले ही मामला आतंकवाद से जुड़ा हो.
ISIS से प्रेरित थे आरोपी
गौरतलब है कि शाजापुर में हुए इस ब्लास्ट के तार अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन ISIS से जुड़े पाए गए थे. जांच में यह भी सामने आया था कि आरोपी ISIS से प्रेरित था और उसके पास से आतंकी साजिश से जुड़े कई सबूत मिले थे. NIA ने उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा सहित सार्वजनिक संपत्ति संरक्षण अधिनियम की धारा के तहत केस दर्ज किया है.
क्या बोले वकील?
अधिवक्ता अनिल खरे ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह निर्णय एक महत्वपूर्ण कानूनी उदाहरण बनेगा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आतंक जैसे गंभीर मामलों में भी कानून बच्चों को विशेष संरक्षण देता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें जवाबदेह नहीं ठहराया जाएगा. इस फैसले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भारत का न्याय तंत्र संवेदनशील मामलों में भी संतुलन बनाए रखने में सक्षम है.