महाराष्ट्र के माहिम के पूर्व विधायक सदा सरवणकर के एक बयान ने राज्य की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. उनके अनुसार, मौजूदा विधायकों को केवल 2 करोड़ रुपये का फंड मिलता है, जबकि उन्हें विधायक न रहते हुए भी 20 करोड़ रुपये मिले थे. माहिम के पूर्व विधायक ने विपक्ष के उन आरोपों को और हवा दी है कि धन का आवंटन सत्तारूढ़ दल के सदस्यों को चुनिंदा रूप से किया जा रहा है.
अपने निर्वाचन क्षेत्र (दादर-माहिम क्षेत्र) में एक कार्यक्रम में बोलते हुए सदा सरवणकर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
इसमें, नेता ने दावा किया कि शिवसेना (यूबीटी) खेमे के मौजूदा विधायक महेश सावंत को विकास कार्यों के लिए केवल 2 करोड़ रुपये दिए गए. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट से जुड़े सरवणकर ने कहा, “लेकिन, विधायक न होते हुए भी, मुझे नागरिकों के काम के लिए 20 करोड़ रुपये मिले.”
विधायक को 2 और मुझे मिलते हैं 20 करोड़
पिछले कुछ वर्षों में महायुति सरकार के गठन के बाद से, धन वितरण में भेदभाव की बातें हो रही हैं, इन आरोपों को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनके दो उप-मुख्यमंत्री शिंदे और अजित पवार सहित इसके नेताओं ने सिरे से खारिज कर दिया है. हालांकि, सरवणकर के बयान विपक्षी सदस्यों के आरोपों को बल दिया है.
सरवणकर ने 2024 के विधानसभा चुनाव में अपनी हार का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि विकास की राजनीति करने वाले हारते हैं, जबकि जाति की राजनीति करने वाले जीतते हैं. सरवणकर ने आगे कहा, “चुनाव हारने के बावजूद, शिंदे साहब के समर्थन से, मैं इलाके में विकास कार्य करवा पाया हूं.”
सरवणकर के बयान से फंड आवंटन पर विवाद
सरवणकर के बयान पर विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की. मुंबई की पूर्व महापौर और यूबीटी नेता किशोरी पेडनेकर ने कहा, “कुछ विधायकों को पर्याप्त विकास निधि आवंटित न करना उनके निर्वाचन क्षेत्रों के सभी नागरिकों के साथ अन्याय है.”
सावंत ने सरवणकर को, जिन्हें 48897 वोट मिले, 1316 मतों के अंतर से हराया था. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के बेटे अमित, जो अपना पहला चुनाव लड़ रहे थे, तीसरे स्थान पर रहे थे. सर्वणकर ने 2014 और 2019 में विधानसभा सीट जीती थी.
यूबीटी खेमे के पूर्व विधायक वैभव नाइक ने कहा कि शिंदे खेमे में शामिल होने वालों को बिना किसी सीमा के धन दिया गया. नाइक ने आरोप लगाया, “धन आवंटन में खुली छूट विपक्ष को कुचलने की कोशिश के अलावा
और कुछ नहीं थी.”