वाराणसी : वाराणसी के लक्खा मेले में शुमार चेतगंज की विश्व प्रसिद्ध नक्कटैया का रविवार रात को आयोजन किया गया. चेतगंज की नक्कटैया का महत्व आप इस बात से समझ सकते हैं कि प्रधानमंत्री आज वाराणसी पहुंचे थे, उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज चेतगंज का नक्कटैया मेला भी हौ, काशी के लिए आजका दिन बहुत शुभ है.
जिससे इसके महत्व एवं ऐतिहासिकता का अनुमान लगाया जा सकता है.यह नक्काटैया करवाचौथ के दिन मनाया जाता है. जो पिछले 138 सालों से लगातार अपनी परम्पराओं को समेटे हुए चली आ रही है. इसकी शुरुआत अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए हुईं थी, अब समसामयिक घटनाओं पर लोगों में जागरूकता लाने के लिए किया जाता है. लक्ष्मण ने सुपनखा का नाक काट कर नक्काटैया मेले की शुरुआत किया.
श्री चेतगंज रामलीला समिति के अध्यक्ष अजय गुप्ता ने बताया कि यह ऐतिहासिक मेला 138वें वर्ष से लगातार आयोजन किया जा रहा है. इसका विशेष धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण है.
नक्कटैया मेला जिसे स्वामी बाबा फतेह राम जी ने शुरू किया था. वाराणसी की समृद्ध धार्मिक परंपरा का हिस्सा है. यह मेला स्थानीय जनता, व्यापारी समुदाय और दूर-दराज के श्रद्धालुओं के बीच विशेष स्थान रखता है. हर वर्ष, यह मेला अपने अद्वितीय आयोजन और रामलीला के प्रदर्शन के कारण हजारों भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता है.
मेले का उद्घाटन आधिकारिक तौर पर बनारस के पुलिस आयुक्त द्वारा मध्यरात्रि में चेतगंज थाने से किया गया.इसके बाद, मेला रथ यात्रा निकाली जाएगी, जो शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए अपने गंतव्य तक पहुंचेगी. यह यात्रा मेले का मुख्य आकर्षण होती है, जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं. श्री रामलीला के विभिन्न दृश्यों का आनंद लेते हैं. मेले में विमान परेड भी आयोजित की जाएंगी, जिसमें मध्य प्रदेश, प्रयागराज, और मेजा के क्षेत्रों से आने वाली टुकड़ियां हिस्सा लेंगी.
बनारस के पारंपरिक लक्खा मेलों में शुमार चेतगंज की नक्कटैया को भव्य रूप देने की शुरुआत अंग्रेजों की मुखालफत से हुई. बाबा फतेह राम अंग्रेजों के दमन पर आधारित लाग विमान इस नक्कटैया में शामिल करते थे और तत्कालीन अंग्रेज कलेक्टर से ही नक्कटैया के जुलूस का उद्घाटन कराते थे.
उसी क्रम में अब भी कलेक्टर से ही जुलूस का उद्घाटन मध्यरात्रि 12 बजे कराया जाता है.
महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने भी नक्कैटया मेले को क्रांतिकारियों के वार्षिक सम्मेलन की जगह बना ली थी. चंद्रशेखर आजाद और उनके सभी क्रांतिकारी साथी मेलार्थी बनकर नक्कटैया में शामिल होते. चेतगंज क्षेत्र स्थित सरस्वती वाचनालय उनके मिलने की जगह हुआ करता था. इस मेले में क्रांतिकारी साथी पर्ची के माध्यम से अपने अगले योजना की सूचना देते थे, जो अंग्रेजों को पता नहीं चल पाती थी. यह एक धार्मिक अनुष्ठान होने के कारण इस पर अंकुश लगाने में भी असमर्थ थे.