उत्तर प्रदेश के बिजनौर के एक सरकारी स्कूल में हिंदी की जगह उर्दू में सरकारी स्कूल का नाम लिखवाने का मामला सामने आया है, जिसको लेकर बवाल खड़ा हो गया है. हिंदी की जगह उर्दू में नाम लिखवाने और फिर उसके सामने खड़े होकर शिक्षकों के फोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर शेयर करने से मामले ने तूल पकड़ लिया है. इस सरकारी प्राथमिक स्कूल में चार शिक्षक हैं और सभी मुस्लिम हैं.
पहले स्कूल का नाम उर्दू में लिखवाया गया और फिर स्कूल के नाम के आगे खड़े होकर शिक्षकों ने फोटो खिंचवाई, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. हिंदी की जगह उर्दू में सरकारी स्कूल का नाम लिखाए जाने पर लोगों ने आपत्ति जताई और इसकी शिकायत बिजनौर BSA से की, जिस पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने जांच कराने के आदेश ABSA को दिए हैं.
स्कूल में हैं चार मुस्लिम टीचर
ये मामला बिजनौर के विकासखंड नजीबाबाद के साहनपुर द्वितीय, प्राथमिक स्कूल विजयपुर का है. इस स्कूल में रफत खान, अब्दुल रशीद, गुलिस्ता जहां और हलीमा बानो कुल चार टीचर हैं. रफत खान स्कूल प्रिंसिपल हैं, जिनपर स्कूल का नाम उर्दू में पेंट करवाने और फिर उसके सामने खड़े होकर फोटो खिंचवाने का आरोप लगा है. इस वायरल फोटो में एक और शिक्षक मुदस्सिर भी नजर आ रहे हैं, जिनकी यहां नियुक्ति नहीं है. लेकिन वह फोटो में नजर आ रहे हैं. मुदस्सिर को लेकर बताया गया कि वह अक्सर मजहबी कट्टरपंथी विचारधारा के चलते विवादों में घिरे रहते हैं और पहले भी कट्टरपंथी पोस्ट वायरल कर चुके हैं.
85 प्रतिशत मुस्लिम-15 प्रतिशत हिंदू
नजीबाबाद तहसील के साहनपुर टाउन एरिया की आबादी करीब पच्चीस हजार है, जिसमें 85 फीसदी मुस्लिम और बाकी 15 फीसदी हिंदू हैं. इसलिए धार्मिक उन्माद की वजह से इस तरह के विवाद अक्सर सामने आते रहते हैं. इस बार सरकारी स्कूल पर हिंदी की जगह उर्दू में नाम लिखे जाने का मामला सोशल मीडिया पर सामने आया है. स्कूल का नाम उर्दू में छपवाने को लेकर प्रिंसिपल रफत खान का कहना है स्कूल के मेन गेट पर तो उर्दू के साथ हिंदी में भी स्कूल का नाम लिखा है. अंदर की बिल्डिंग पर उर्दू में लिखने में कोई हर्ज नहीं है. यह भी अपने वतन की ही भाषा है. बिजनौर के बेसिक शिक्षा अधिकारी योगेश कुमार ने बताया इस तरह से सरकारी नियमों की अनदेखी नहीं की जा सकती, जांच कराई जा रही है. दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.